गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी को किया तलब, समझौते की संभावना टटोलना चाहते हैं जज
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 16, 2023 09:38 IST2023-06-16T09:31:07+5:302023-06-16T09:38:02+5:30
गुजरात हाईकोर्ट में जस्टिस समीर दवे ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बलात्कार आरोपी को अपनी कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया ताकि वो उससे बात करके समझौते की संभावना को परख सकें।

गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार आरोपी को किया तलब, समझौते की संभावना टटोलना चाहते हैं जज
गांधीनगर: गुजरात हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता को गर्भ गिराने के लिए दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए मनुस्मृति पढ़ने की सलाह दी है। हाईकोर्ट में केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस समीर दवे ने मनुस्मृति पढ़ने की सलाह के आठ दिन बाद बीते गुरुवार को आदेश दिया कि शुक्रवार को बलात्कार आरोपी को उनकी अदालत में पेश किया जाए ताकि वह समझौता की संभावना का पता लगा सकें।
समाचार वेबसाइट इंडिन एक्सप्रेस के अनुसार नाबालिग पीड़िता की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने अदालत से कहा कि यदि कोर्ट रेप पीड़िता को गर्भ गिराने की इजाजत नहीं देगा है तो पीड़िता का परिवार गर्भ में पहले वाले बच्चे को जन्म के बाद अपनाने को तैयार नहीं है, हालांकि कई ऐसे लोग हैं, जो गर्भ में पल रहे बच्चे को गोद लेने के लिए तैयार हैं।
वकील ने पीड़िता के पिता की ओर से जस्टिस समीर दवे से यह गुहार लगाई कि उनकी एकमात्र चिंता नाबालिग की उम्र है और यह संभव हो सकता है कि भ्रूण स्वस्थ हो और फिर भी जीवित न रहे। इसके साथ ही वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को कोट किया, जिसमें कोर्ट ने 27 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने का आदेश दिया है।
जस्टिस दवे ने नकील की दलील सुनने के बाद पूछा कि बलात्कार का आरोपी कहां है। इसके जवाब में वकील ने कहा कि अभी वह जेल में है। जस्टिस दवे ने वकील से तब कहा, "क्या दोनों पक्षों में समझौते की कोई संभावना है?" जिस पर अधिवक्ता ने समझौते की स्थिति को खारिज करते हुए कहा कि दोनों पक्ष मजदूरी करते हैं और उन्होंने इसकी कोशिश की थी लेकिन निष्कर्ष नहीं निकला।
इस मौके पर अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कोर्ट की कार्रवाई में दखल देते हुए कहा कि जस्टिस दवे का प्रश्न "व्यावहारिक" हैं। उन्होंने कहा, "सद्भावना में कही गई किसी बात को अनावश्यक रूप से दूसरे तरीके से लिया जाता है।"
जस्टिस दवे ने इससे पहले हुई सुनवाई में यह कहा था कि 18 साल की उम्र से कुछ महीने कम होने से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि यदि दोनों चिकित्सकीय रूप से नाबालिग और भ्रूण स्वस्थ हैं तो वह गर्भपात की अनुमति नहीं देंगे।
मामले में अतिरिक्त लोक अभियोजक के स्पष्टिकरण दिया, तब जस्टिस दवे ने कहा कि अतिरिक्त लोक अभियोजक कह रहे हैं कि यदि कोर्ट से कुछ फैसले आता है तो लोग मेरी आलोचना करेंगे लेकिन मैं एक ही बात कहना चाहता हूं, जज को गीता के अध्याय 2 के श्लोक 54 से 72 तक बताये गये परिभाषा के अनुसार स्थित प्रज्ञ होना चाहिए। इसलिए प्रशंसा मिले या आलोचना हो, दोनों को दरकिनार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, मेरे दिमाग में एक और बात चल रही है कि यि आरोपी जेल में बंद है तो मैं उसे बुलाऊं। उससे पूछूं उस बच्चे के बारे में, लेकिन अभी मैं इसके बारे मेम कुछ नहीं बताऊंगा। इस पर हम कल फैसला लेंगे। बहु सारी सरकारी योजनाएं चल रही हैं, हमें उनके बारे में सोचना चाहिए। उसमें कोई बुराई नहीं की अगर अच्छी नीति और योजना हो तो उसे बाहर किया जा सकता है।
इसके साथ ही जस्टिस दवे ने केस को शुक्रवार 4 बजे तक के लिए यह आदेश देते हुए टाल दिया कि उनकी कोर्ट में बलात्कार आरोपी को पेश किया जाए।