पटाखों पर रोक के प्रति घोर अनादर की वजह से दिल्ली में दिवाली पर हुआ गंभीर वायु प्रदूषण : विशेषज्ञ
By भाषा | Updated: November 5, 2021 23:15 IST2021-11-05T23:15:38+5:302021-11-05T23:15:38+5:30

पटाखों पर रोक के प्रति घोर अनादर की वजह से दिल्ली में दिवाली पर हुआ गंभीर वायु प्रदूषण : विशेषज्ञ
नयी दिल्ली, पांच नवंबर विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि पटाखों पर रोक के प्रति घोर अनादर की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली त्योहार के सप्ताह में गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हुई है। दिल्लीवालों को शुक्रवार को भारी वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हरित दिवाली मनाने को लेकर समझ का अभाव इसके बड़े कारणों में एक है क्योंकि लोग मानते हैं कि त्योहार और पटाखे एक दूसरे के पूरक हैं।
इंटीग्रेटेड हेल्थ ऐंड वेलबिइंग काउंसिल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमल नारायण ने कहा, ‘‘दिल्ली वालों ने आज सुबह गंभीर वायु प्रदूषण के साथ आंख खोली और यह दिल्ली सरकार द्व़ारा पटाखों पर लगाए गए गए प्रतिबंध के प्रति घोर अनादर के कारण हुआ। दिवाली के दिन पूरी दिल्ली में लोगों ने पटाखे फोड़े और इसने पहले ही राष्ट्रीय राजधानी की खराब रही वायु गुणवत्ता में योगदान दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग वायु प्रदूषण की परवाह नहीं करते हैं और मानते हैं कि पटाखों के बिना दिवाली नहीं हो सकती है। यह सोच बदलने की जरूरत है और राज्य सरकार को पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।’’
नारायण के विचार को साझा करते हुए पीजीआई चंडीगढ़ में पर्यावरण के प्रोफेसर रवींद्र खाईवाल ने कहा कि पटाखों पर रोक एक पक्ष है लेकिन इस कोशिश के प्रभावी होने के लिए व्यवहार के स्तर पर बदलाव लाना जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोग सोचते हैं कि पटाखों पर रोक से खुशी कम हो जाती है। लेकिन हमें समझने की जरूरत है कि दिवाली इससे कहीं अधिक है। उच्चतम न्यायालय ने हाल में पटाखों पर रोक लगाई थी लेकिन कैसे हरित दिवाली मनायी जाए इसको लेकर लोगों में समझ की कमी है। हमने पुस्तिका तैयार की है जिसमें हमने इसे समझाया है।’’
गौरतलब है कि त्योहारों से पहले दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण रोक लगा दी थी और इनकी बिक्री और इस्तेमाल के खिलाफ आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान शुरू किया था।
विशेषज्ञों ने हालांकि माना कि इस मौसम में प्रदूषण के अन्य कारकों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
नारायण ने कहा, ‘‘ 80 प्रतिशत प्रदूषण मौसम, वायुमंडल की स्थिति और वाहनों आदि से होने वाले उत्सर्जन पर निर्भर करता है। प्रदूषण में 20 प्रतिशत योगदान पराली और पटाखे फोड़ने से है। इसलिए हमें अपना आधार पहले कम करना चाहिए।’’
स्काईमेट वेदर में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पालावत ने तापमान में गिरावट और हवा की गति में आई कमी को शहर के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया।
पर्यावरणविद भावरीन कांधारी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का रुख भी ‘‘पूर्ण प्रतिबंध से आंशिक प्रतिबंध से लेकर हरित पटाखों के बीच झूलता रहा तो किस तरह का संदेश दिया जा रहा है।
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