'किसी लड़की के ब्रेस्ट को पकड़ना, पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार नहीं': हाईकोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 20, 2025 17:00 IST2025-03-20T16:52:53+5:302025-03-20T17:00:33+5:30

उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 354-बी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9 और 10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

Grabbing girl's breasts, breaking pyjama string not rape: High Court | 'किसी लड़की के ब्रेस्ट को पकड़ना, पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार नहीं': हाईकोर्ट

'किसी लड़की के ब्रेस्ट को पकड़ना, पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार नहीं': हाईकोर्ट

Highlightsहाईकोर्ट ने कहा कि ये हरकतें प्रथम दृष्टया "गंभीर यौन उत्पीड़न" के अपराधों के अंतर्गत आती हैंकथित तौर आरोपियों ने 11 से 12 साल की उम्र की एक लड़की के स्तनों को पकड़ा थाआरोपियों में से एक ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ा और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे घसीटने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के आरोप के बराबर नहीं है। इसके बजाय, अदालत ने जोर देकर कहा कि ये हरकतें प्रथम दृष्टया "गंभीर यौन उत्पीड़न" के अपराधों के अंतर्गत आती हैं। 

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने ट्रायल कोर्ट के पहले के आदेश को संशोधित किया, जिसमें दो आरोपियों पवन और आकाश को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम (पोक्सो) अधिनियम की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) के तहत तलब किया गया था।

उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 354-बी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9 और 10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

कथित तौर पर दोनों आरोपियों ने 11 से 12 साल की उम्र की एक लड़की के स्तनों को पकड़ा। आरोपियों में से एक आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया। राहगीरों के हस्तक्षेप करने पर आरोपी मौके से भाग गए।

आरोपों को चुनौती देते हुए, आरोपियों ने उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि मामला बलात्कार के प्रयास का नहीं है और इसे, अधिक से अधिक, धारा 354 और 354-बी आईपीसी के प्रावधानों के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत आना चाहिए।

ट्रायल कोर्ट ने पहले नाबालिग पर यौन उत्पीड़न करने के कथित प्रयास का हवाला देते हुए धारा 376 आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 को लागू किया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने साक्ष्य और गवाहों के बयानों की जांच करने के बाद ऐसा कोई सबूत नहीं पाया जिससे यह संकेत मिले कि आरोपी ने तैयारी से परे जाकर बलात्कार करने का दृढ़ संकल्प दिखाया था।

लाइव लॉ ने हाईकोर्ट के हवाले से कहा, "आकाश के खिलाफ विशेष आरोप यह है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया। गवाहों ने यह भी नहीं कहा कि आरोपी के इस कृत्य के कारण पीड़िता नग्न हो गई या उसके कपड़े उतर गए। ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की।"

Web Title: Grabbing girl's breasts, breaking pyjama string not rape: High Court

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