सरकार, विपक्ष को संसद के अगले सत्र के वास्ते बीच का रास्ता निकालना चाहिए: देवेगौड़ा

By भाषा | Updated: August 12, 2021 18:51 IST2021-08-12T18:51:43+5:302021-08-12T18:51:43+5:30

Govt, opposition should find middle ground for next session of Parliament: Deve Gowda | सरकार, विपक्ष को संसद के अगले सत्र के वास्ते बीच का रास्ता निकालना चाहिए: देवेगौड़ा

सरकार, विपक्ष को संसद के अगले सत्र के वास्ते बीच का रास्ता निकालना चाहिए: देवेगौड़ा

नयी दिल्ली, 12 अगस्त पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने सरकार और विपक्ष से नवंबर में संसद के अगले सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘‘बीच का एक रास्ता’’ निकालने का बृहस्पतिवार को आग्रह करते हुए कहा कि ‘‘बहुत अड़ियल’’ या अति उत्साही होना दोनों खतरनाक हैं।

मानसून सत्र में कम कामकाज होने पर चिंता जताते हुए जनता दल (एस) प्रमुख ने कहा कि यह सुनिश्चित करना दोनों सदनों के सदस्यों का ‘‘सामूहिक कर्तव्य’’ है कि ‘‘हमारी एक कार्यशील संसदीय लोकतंत्र की अवधारणा कायम रहे।’’

पेगासस जासूसी विवाद, तीन कृषि कानूनों और ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर विपक्ष द्वारा किये गये हंगामे के कारण मानसून सत्र की कार्यवाही 11 अगस्त को तय समय से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार और विपक्ष दोनों को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा कि हमें कैसे आगे बढ़ना चाहिए। अत्यधिक अड़ियल और अति उत्साहित होना दोनों खतरनाक हैं।’’ उन्होंने कहा कि शीघ्र ही ‘‘बीच का एक रास्ता’’ निकालने की आवश्यकता है ताकि संसद एक बार फिर एक ऐसा स्थान बन जाए जहां ‘‘हम एक-दूसरे से बात करते हैं, चर्चा करते हैं और सम्मानजनक तरीके से असहमति जताते हैं।’’

राज्यसभा सदस्य गौड़ा ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनियाभर में लोकतंत्र का विचार ही ‘‘गंभीर दबाव’’ में आ गया है, ‘‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी युवा पीढ़ी को यह विश्वास दिलाएं कि यह शासन का सबसे अच्छा रूप है।’’ उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ नेताओं को एक साथ आना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि नवंबर में संसद के अगले सत्र में कैसे कार्य करना है।

लगभग 90 वर्षीय गौड़ा ने कहा कि उन्होंने उम्र से संबंधित मुद्दों के बावजूद पूरी निष्ठा के साथ संसद की कार्यवाही में भाग लिया और यहां तक कि चार विषयों कृषि कानूनों, महंगाई, ओबीसी सूची में 127 वां संविधान संशोधन विधेयक, और पेगासस विवाद पर बोलने के नोट भी बनाये। उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी भी विषय पर नहीं बोल सकता था - ऐसा नहीं है कि मुझे सभी विषयों पर बोलने का अवसर दिया जाता क्योंकि मेरी पार्टी अल्पमत में है - क्योंकि संसद लगातार बाधित थी। मुझे बहुत दुख होता है।’’

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कैबिनेट फेरबदल पर गौड़ा ने कहा कि पहली बार 12 महिलाओं, आठ अनुसूचित जातियों और 12 अनुसूचित जनजाति समुदाय के नेताओं को मंत्री के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि यह सामाजिक न्याय है या चुनावी रणनीति, लेकिन जो भी हो, मैं मोदी के फैसले का स्वागत करता हूं।’’

बसवराज बोम्मई के कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में पद्भार संभालने पर, उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि बोम्मई पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के मार्गदर्शन में आंतरिक मुद्दों को हल करने में सक्षम हैं।’’ गौड़ा ने कहा कि बोम्मई के पिता उनके अच्छे दोस्त थे।

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