एचएएमए के तहत अंतर देशीय दत्तक ग्रहण को आसान बनाने के लिये नए दिशा-निर्देश लाएगी सरकार
By भाषा | Updated: September 14, 2021 23:01 IST2021-09-14T23:01:24+5:302021-09-14T23:01:24+5:30

एचएएमए के तहत अंतर देशीय दत्तक ग्रहण को आसान बनाने के लिये नए दिशा-निर्देश लाएगी सरकार
नयी दिल्ली, 14 सितंबर केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण ने अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण को आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम के तहत नियम बनाए हैं। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अब तक हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम (एचएएमए) के तहत अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) के लिए कोई नियम नहीं थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''इसके चलते जब एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) या भारत के प्रवासी-नागरिक एचएएमए के तहत गोद लेते थे, तो उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता था। अब इसे समाप्त कर दिया गया है और सीएआरए एक जिला मजिस्ट्रेट द्वारा किए गए सत्यापन के आधार पर एक एनओसी जारी करेगा।''
उन्होंने कहा कि अब तक एनओसी एक अदालत द्वारा जारी किया जाता था, जिसमें काफी समय लगता था।
अधिकारी ने कहा कि सरकार ने गोद लेने के नियमों में एक नया खंड भी पेश किया है, जिसके तहत जब माता-पिता गोद लेने के दो साल के भीतर अपने गोद लिए हुए बच्चे के साथ विदेश जाते हैं, तो उन्हें कम से कम दो सप्ताह पहले भारतीय राजनयिक मिशनों को उनके प्रस्थान और आगमन के बारे में सूचित करना होगा।
उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सीएआरए को एचएएमए के तहत नियम बनाने का निर्देश दिया है कि कैसे कानून के तहत अंतरदेशीय गोद लिया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा, ''मंत्रालय ने नियमों को अंतिम रूप दे दिया है और इसे जल्द ही जारी किया जाएगा।''
एचएएमए बच्चों को गोद लेने के नियमों से संबंधित है। यह गोद लिए गए बच्चे को जैविक बच्चे को मिलने वाले सभी अधिकार प्रदान करता है।
अधिकारी ने कहा कि गोद लेने में प्राथमिकता उन्हीं लोगों को दी जा सकती है, जो समान राज्य से हों ताकि बच्चे के लिये सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश संरक्षित रहे।
फिलहाल लोगों को तीन राज्यों का विकल्प मिलता है, जहां से वे गोद लेना चाहते हैं। लेकिन किशोर न्याय अधिनियम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बच्चे को उसी सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में बरकरार रखा जाना चाहिए , जिसमें वह पहले था।
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