सरकार ने जमाखोरी, बढ़ती कीमतों पर लगाम के लिए गेहूं के भंडारण की सीमा तय की

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 24, 2024 17:22 IST2024-06-24T17:21:20+5:302024-06-24T17:22:10+5:30

व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के बड़े डिपो में प्रत्येक के लिए 3,000 टन की सीमा तय की गई है। प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए सीमा का निर्धारण उनकी मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) के 70 प्रतिशत को वित्त वर्ष 2024-25 के शेष महीनों से गुणा करके निकाला जाएगा।

Government sets limit on wheat storage to check hoarding rising prices | सरकार ने जमाखोरी, बढ़ती कीमतों पर लगाम के लिए गेहूं के भंडारण की सीमा तय की

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsसरकार ने जमाखोरी, बढ़ती कीमतों पर लगाम के लिए गेहूं के भंडारण की सीमा तय कीखुदरा श्रृंखलाओं के बड़े डिपो में प्रत्येक के लिए 3,000 टन की सीमा तय की गई हैतत्काल प्रभाव से गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी है

नई दिल्ली:  गेहूं की बढ़ती कीमतों और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसर) पर तत्काल प्रभाव से गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी है। ये प्रतिबंध सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेंगे। 

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एकल खुदरा विक्रेता, बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेता, प्रसंस्करणकर्ता और थोक विक्रेता हर शुक्रवार को अपने गेहूं के स्टॉक का खुलासा करेंगे। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि नए नियमों के तहत बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं की खुदरा दुकानों और व्यक्तिगत दुकानों को 10 टन तक गेहूं का भंडारण करने की अनुमति है। 

व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के बड़े डिपो में प्रत्येक के लिए 3,000 टन की सीमा तय की गई है। प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए सीमा का निर्धारण उनकी मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) के 70 प्रतिशत को वित्त वर्ष 2024-25 के शेष महीनों से गुणा करके निकाला जाएगा। सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक के बारे में बताने और इसे खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर नियमित रूप से डालने का आदेश दिया है। निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक रखने वालों को नए मानदंडों का पालन करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। 

चोपड़ा ने जोर देकर कहा, "मैं देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहता हूं।" उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध की समीक्षा का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह निर्णय पिछले सप्ताह गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद आया है, जिसमें अधिकारियों को गेहूं की कीमतों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया था। 

सरकार ने तब उपभोक्ताओं के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने का संकेत दिया था। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में दो रुपये प्रति किलोग्राम तक की बढ़ोतरी हुई है। 20 जून तक गेहूं का औसत खुदरा मूल्य एक साल पहले के 28.95 रुपये से बढ़कर 30.99 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। गेहूं के आटे की कीमतें भी पिछले साल के 34.29 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 36.13 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। 

सरकार का कहना है कि उसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त गेहूं का स्टॉक है, जो लगभग 1.84 करोड़ टन है। 18 जून तक, सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2024-25 में केंद्रीय पूल के लिए 2.66 करोड़ टन गेहूं खरीदा, जो पिछले वर्ष की खरीद 2.62 करोड़ टन से थोड़ा अधिक है। चोपड़ा ने बताया कि जमाखोरी को कम करने के लिए स्टॉक रखने की सीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि खुदरा कीमतों पर नजर रखने के कई साधन हैं और स्टॉक सीमा ऐसे ही साधनों में से एक है। 

(इनपुट- भाषा)

Web Title: Government sets limit on wheat storage to check hoarding rising prices

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