जम्मू-कश्मीर: मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध का सरकार ने किया बचाव, कहा- इन दिनों में एक भी गोली नहीं चली

By विनीत कुमार | Published: October 2, 2019 10:54 AM2019-10-02T10:54:18+5:302019-10-02T10:54:18+5:30

सरकार की ओर से दिये गये एफिडेविट में कहा गया है कि राज्य में किसी भी मीडिया से जुड़े शख्स को नहीं रोका गया है। साथ ही उन 32 अंग्रेजी अखबारों और 58 उर्दू अखबारों की भी लिस्ट दी गई है जो जम्मू-कश्मीर में पब्लिश हो रहे हैं।

Government defends telecom curb in Jammu Kashmir says not a single bullet fired | जम्मू-कश्मीर: मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध का सरकार ने किया बचाव, कहा- इन दिनों में एक भी गोली नहीं चली

जम्मू-कश्मीर में संचार सेवा पर को लेकर सरकार ने कोर्ट में दिया जवाब (फोटो-एएफपी)

Highlightsसरकार ने कोर्ट में जमा किये एफिडेविट के जरिये याचिकाओं पर दिये जवाबसरकार ने कहा- राज्य में सभी लैंडलाइन काम कर रहे हैं, लगभग स्कूल भी खुले हैं

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट में संचार सेवा बंद होने को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार ने अपने पहले आधिकारिक जवाब में कहा है कि प्रतिबंध आवश्यकता के मुताबिक और पूरी तरह अस्थायी था। सरकार के अनुसार राज्य में आतंकवाद के पुराने इतिहास को देखते हुए यह जरूरी हो गया था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सूचना और संचार विभाग के सचिव मनोज कुमार द्विवेदी के शपथबद्ध एफिडेविट में कहा गया है, 'सरकार की कोशिशों से अब तक एक भी गोली नहीं चली है और पुलिस फायरिंग में किसी की जान नहीं गई है।'

सरकार की ओर से प्रतिक्रिया मंगलवार को आई सुप्रीम कोर्ट जब पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ सभी याचिकाओं पर सुनवाई 14 नवंबर को की जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की ओर से एफिडेविट तीन जजों की बेंच के सामने पेश की गई। यह बेंच कश्मीर टाइम्स के एग्जक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसिन सहित कुछ और लोगों की ओर से संचार पर लगी रोक के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सरकार ने इस पर कहा कि सभी स्थानीय अखबार छप रहे हैं और सभी राष्ट्रीय अखबार भी जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हर रोज बांटे जा रहे हैं।

केंद्र ने कहा कि उसे राष्ट्रहित में सबसे अच्छे कानूनी विकल्प लेने हैं और वह लगातार जमीनी हकीकत को देखते हुए इसके लिए प्रयासरत है। राज्य में प्रतिबंध को सही ठहराते हुए सरकार ने कहा, 'डाटा सर्विसेस के दुरुपयोग और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को देखते हुए सर्विस प्रोवाइडर्स से स्थिति को देखते हुए ऐसी गुजारिश की गई है।'

सरकार की ओर से दिये गये एफिडेविट में कहा गया है कि राज्य में किसी भी मीडिया से जुड़े शख्स को नहीं रोका गया है। साथ ही उन 32 अंग्रेजी अखबारों और 58 उर्दू अखबारों की भी लिस्ट दी है जो राज्य में पब्लिश हो रहे हैं। सरकार ने साथ ही कहा कि कश्मीर में शिक्षण कार्यक्रमों सहित अगर घूमने-फिरने की कुछ पाबंदी है तो वह इसलिए कि किसी भी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके।

सरकार ने कहा, '100 फीसदी प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल जम्मू और लद्दाख में खुले हैं और कश्मीर में भी 96 प्रतिशत स्कूल खुले हुए हैं। साथ ही राज्य में 100 प्रतिशत लैंडलाइन फोन भी काम कर रहे हैं।' सरकार के अनुसार पिछले कुछ हफ्तों में धीरे-धीरे प्रतिबंधों को कम किया जा रहा है और चरणबद्ध तरीके से सामान्य स्थिति की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश जारी है।

Web Title: Government defends telecom curb in Jammu Kashmir says not a single bullet fired

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