नई दिल्ली, 14 जून: केंद्र सरकार कानून के जरिए धोखा देने वाले पतियों पर शिकंजा कसने को तैयार है। वो एनआरआई पति जो जानबूझकर कोर्ट कार्यवाही को नजरअंदाज कर रहे उनको वेबसाइट के जरिए सम्मन भेजा जाएगा और इसके लिए कानून में जरूरी संशोधन होगा।
हाल ही में इस तरह के एनआरआइ पतियों पर अंकुश लगाने के लिए हुई मंत्री समूह की बैठक में इस बारे में फैसला लिया गया। हमारे देश में ऐसी कई महिलाएं हैं जिनके शादी के बाद विदेश चल गए और लौट के नहीं आए या फिर उनको उत्पीड़ित कर रहे हैं। वह विदेश में रहने का फायदा उठाते हुए कानूनी प्रक्रिया को भी नजर अंदाज करते हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ऐसे लोगों पर कानून की गिरफ्त मजबूत करने के लिए उन पर वेबसाइट के जरिये सम्मन भेजने का प्रस्ताव दिया था। जिस पर हाल ही में हुई बैठक में विचार किया गया है। इस बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भाग लिया।
ऐसे में खबरों की मानें तो लगभग इस बेवसाइट के लिए सहमति बन गई है। वहीं, इस प्रक्रिया में कुछ कानूनी अड़चने हैं लेकिन इसके लिए कानून में जरूरी संशोधन किये जाएंगे। वहीं, वेबसाइट के जरिये सम्मन भेजने करने के लिए सीआरपीसी के चेप्टर छह (पेशी सुनिश्चित करने की प्रक्रिया) की धारा 82 और 83 में संशोधन होगा और अन्य तरीकों के साथ इसे भी सम्मन तामील करने का एक तरीका माना जाएगा। ऐसे में जब तक वह कोर्ट में पेश नहीं होगा उसकी पैतृक संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और उसको भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा।
वेबसाइट पर सम्मन जारी होने के बावजूद अगर आरोपी पेश नहीं होता है तो उसे भगोड़ा घोषित किया जाएगा। उसका पासपोर्ट रद होगा। इसके अलावा आरोपी एनआरआइ की पैत्रिक संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और संपत्ति तबतक जब्त रहेगी जबतक कि वह अदालत में पेश नहीं हो जाता। साथ ही एनआरआई को शादी करने के सात दिन के भीतर अपना विवाह पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा।