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सरकार ने सोशल मीडिया मंचों का दुरुपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की

By भाषा | Updated: February 25, 2021 20:13 IST

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नयी दिल्ली, 25 फरवरी ट्विटर के साथ तकरार के सप्ताहों बाद सरकार ने सोशल मीडिया मंचों तथा नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी मंचों का दुरुपयोग रोकने के लिए बृहस्पतिवार को नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत उन्हें आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटाना होगा और जांच में सहायता करनी होगी तथा शिकायत समाधान तंत्र स्थापित करना होगा।

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड’ सोशल मीडिया मंचों का दुरुपयोग रोकने पर केंद्रित है और इसके तहत व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर तथा अन्य सोशल मीडिया कंपनियों तथा नेटफ्लिक्स, यू-ट्यूब और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे मंचों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों का सहयोग करने के लिए कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी तथा शरारतपूर्ण सूचना की शुरुआत करने वाले प्रथम व्यक्ति की पहचान का खुलासा करना होगा और अश्लील तथा महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ जैसी सामग्री को 24 घंटे के भीतर हटाना होगा।

दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनियों को एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी जो 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करेगा और मासिक रूप से अनुपालन रिपोर्ट दायर करेगा। उपयोगकर्ताओं की शिकायत का समाधान 15 दिन के भीतर करना होगा।

सोशल मीडिया मंचों को सरकार या अदालत के कहने पर ऐसी शरारतपूर्ण सूचना की शुरुआत करनेवाले प्रथम व्यक्ति की पहचान का खुलासा करना होगा जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और लोक व्यवस्था को कमतर करती हो।

सोशल मीडिया कंपनियों को हालांकि किसी संदेश की विषयवस्तु का खुलासा करने की जरूरत नहीं होगी।

संहिता संदेशों के साथ ही समाचार और समसामयिक सामग्री के प्रकाशकों के लिए भी दिशा-निर्देश तय करती है और उनके लिए स्वामित्व तथा अन्य सूचना का खुलासा करने को जरूरी बनाती है।

प्रसाद ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि ‘‘दुरुपयोग’’ के चलते सोशल मीडिया तथा ओटीटी कंपनियों को जवाबदेह बनाने के लिए संहिता की आवश्यकता थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सोशल मीडिया कंपनियों को अधिक जिम्मेदार तथा जवाबदेह होना चाहिए।’’

किसानों के प्रदर्शन से संबंधित कई संदेशों पर सप्ताहों तक सरकार और ट्विटर के बीच चली तकरार के बाद सोशल मीडिया के लिए नए नियम लाए गए हैं।

सरकार ने किसान आंदोलन से संबंधित कुछ सोशल मीडिया संदेशों को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया था।

केंद्र सरकार ने लगभग 1,500 अकाउंट और संदेशों को हटाने को कहा था जिसका ट्विटर ने दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी के बाद पालन किया था।

इसके अलावा, अमेजन प्राइम वीडियो पर प्रसारित ‘तांडव’ में हिन्दू देवी-देवताओं को गलत तरीके से दिखाने पर प्रदर्शनों के बाद अधिकारियों ने इसके पुन: संपादन का आदेश दिया था।

नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। हालांकि, महत्वपूर्ण सोशल मीडिया श्रेणी में आने वाले मंचों को अनुपालन की शुरुआत करने से पहले तीन महीने का समय मिलेगा।

प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया के बार-बार दुरुपयोग और फर्जी खबरों के प्रसार को लेकर चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में कारोबार करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का स्वागत है...हम आलोचना और असहमति का स्वागत करते हैं...लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों को समयबद्ध तरीके से उनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक उचित मंच दिया जाए।’’

भारत डिजिटल और सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है।

प्रसाद ने कहा कि ये कंपनियां दो श्रेणियों-सोशल मीडिया और महत्वपूर्ण सोशल मीडिया की श्रेणी में आएंगी।

यह अंतर सोशल मीडिया मंचों का उपयोग करने वालों की संख्या पर आधारित है।

नियमों के तहत ‘महत्वपूर्ण’ सोशल मीडिया कंपनियों को मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक नोडल संपर्क व्यक्ति और एक रेजिडेंट शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जैसे अतिरिक्त कदम उठाने होंगे। इन सभी तीनों अधिकारियों का निवास भारत में होना चाहिए।

‘महत्वपूर्ण’ सोशल मीडिया कंपनियों को मासिक रूप से एक अनुपालन रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी जिसमें प्राप्त शिकायतों, की गई कार्रवाई और हटाई गई सामग्री का विवरण होगा।

इस नियम का ट्विटर और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

भारत में 53 करोड़ व्हाट्सऐप उपयोगकर्ता, 44.8 करोड़ यू-ट्यूब उपयोगकर्ता, 41 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता, 21 करोड़ इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता और 1.75 करोड़ ट्विटर उपयोगकर्ता हैं।

नियमों में यह भी कहा गया है कि जो उपयोगकर्ता स्वेच्छा से अपने अकाउंट का सत्यापन चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने के लिए उचित तंत्र दिया जाना चाहिए और सत्यापन का एक चिह्न उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

इन नियमों के तहत कंपनी जब स्वयं से किसी सामग्री को हटाएगी तो उसे इसके बारे में उपयोगकर्ता को पूर्व सूचना और स्पष्टीकरण देना होगा। ऐसे मामलों में कंपनी द्वारा की गई कार्रवाई पर दलील प्रस्तुत करने के लिए उपयोगकर्ताओं को पर्याप्त और उचित अवसर प्रदान किया जाएगा।

सोशल मीडिया से संबंधित नियमों का संचालन इलेक्‍ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा किया जाएगा, जबकि डिजिटल मीडिया से संबंधित नियमों का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करेगा।

‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) मंचों तथा डिजिटल मीडिया से संबंधित नियमों के बारे में सरकार ने कहा कि नियम चीजों को इंटरनेट पर देखने वालों तथा थिएटर एवं टेलीविजन की दर्शक संख्या में अंतर को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।

समाचार प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए एक आचार संहिता और त्रिस्तरीय शिकायत समाधान तंत्र लागू होगा।

ओटीटी मंचों को सामग्री को खुद से पांच आयु श्रेणियों-यू (यूनिवर्सल), यू/ए 7+ (वर्ष), यू/ए 13+, यू/ए 16+ और ए (वयस्क) में वर्गीकृत करना होगा। इस तरह के मंचों को अश्लीलता तथा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली सामग्री को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस तरह के मंचों को यू/ए 13+ या इससे अधिक आयु श्रेणी के लिए ‘अभिभावकीय लॉक’ तथा ए श्रेणी में वर्गीकृत सामग्री के लिए आयु सत्यापन तंत्र की व्यवस्था करनी होगी।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सामग्री के प्रसारकों को किसी खास कार्यक्रम के बारे में रेटिंग वर्गीकरण को प्रमुखता से दिखाना होगा जिसमें सामग्री का वर्णन भी होगा।

आधिकारिक बयान में कहा गया कि डिजिटल मीडिया पर समाचार प्रकाशकों को भारतीय प्रेस परिषद की पत्रकारिता संबंधी संहिता के नियमों और केबल टेलीविजन विनियमन नेटवर्क कानून के तहत कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा।

जावड़ेकर ने कहा, ‘‘डिजिटल मीडिया पोर्टलों को अफवाह फैलाने का कोई अधिकार नहीं है। मीडिया को पूरी स्वतंत्रता है, लेकिन कुछ उचित प्रतिबंधों के साथ। सामग्री मामले, खासकर मीडिया, ओटीटी और डिजिटल मीडिया संबंधी चीजों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय देखेगा। कंपनी मंचों की निगरानी सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय करेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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