नई दिल्ली, 26 मार्च; गूगल ने उत्तराखंड के चमोली जिले में शुरू हुई चिपको आंदोलन पर डूडल बनाया है। 26 मार्च को चिपको आंदोलन की 45वीं वर्षगांठ है। इस आंदोलन की शुरूआत 1970 के दशक में हुई ती। इस आंदोलन की सबसे खासियत यह है कि इस आंदोलन में हिंसा का प्रयोग नहीं किया गया था। इस आंदोलन में शांति के साथ लोग पेड़ बचाने के लिए पेड़ से चिपक जाते थे। यह आंदोलन पेड़ों को न काटने के लिए चलाया गया था।
गूगल के डूडल की डिजाइन की बात करें तो, इसमें एक पेड़ के चारों तरफ महिलाएं दिख रही हैं। जो एक-दूसरे के हाथों को पकड़ कर घेरा बनाकर खड़ी दिख रही हैं। गूगल के इस डूडल को सव्भू कोहली और विप्लव सिंह ने डिजाइन किया है। इसके साथ डूडल में पेड़ पर गोल घेरा बनाकर ये भी दिखाने की कोशिश की गई है कि पेड़ों के रहने से कैसे उसमें पक्षी भी रहते हैं।
कैसे हुई चिपको आंदोलन की शुरुआत
चिपको आंदोलन की शुरुआत पेड़ों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए हुई थी। जिसकी शुरुआत उत्तराखंड के चमोली जिले से हुई थी। असल 1973 में वन विभाग के ठेकेदारों ने जंगलों के पेड़ों को काटने का काम शुरू किया था और बड़ी तेजी से कटाई कर रहे थे। इसी कटाई को रोकने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। चिमोली जिले से शुरू हुआ ये आंदोलन धीरे-धीरे प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों में फैल गया। इस आंदोलन में पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट और उनकी संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य संघ का भी अहम भूमिका निभाई।
इस आंदोलन की मुख्य उपलब्धि ये रही कि इसने केंद्रीय राजनीति के एजेंडे में पर्यावरण को एक सघन मुद्दा बना दिया था। चिपको आंदोलन के सहभागी तथा कुमाँऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ.शेखर पाठक के के मुताबिक भारत में 1980 का वन संरक्षण अधिनियम और यहां तक कि केंद्र सरकार में पर्यावरण मंत्रालय का गठन भी चिपको आंदोलन की वजह से ही संभव हो पाया था।