उत्तराखंड में ग्लेशियर: सुबह की शांति ग्रामीणों के लिए त्रासदी में हुई थी तब्दील, अब टिहरी बांध से छोड़ा जाएगा पानी

By अनुराग आनंद | Updated: February 8, 2021 07:19 IST2021-02-08T07:15:06+5:302021-02-08T07:19:50+5:30

उत्तराखंड के चमोली में आए इस हादसे में करीब 100 लोगों के गायब होने की खबर अभी भी आ रही है।

Glacier broken in Uttarakhand: Morning peace turned into tragedy for villagers, now water will be released from Tehri dam | उत्तराखंड में ग्लेशियर: सुबह की शांति ग्रामीणों के लिए त्रासदी में हुई थी तब्दील, अब टिहरी बांध से छोड़ा जाएगा पानी

चमोली आपदा में सैकड़ों लोग गायब (फाइल फोटो)

Highlightsएक ग्रामीण ने कहा कि हम यह समझ पाते कि क्या हो रहा है, उससे पहले ही ऋषिगंगा के कीचड़ वाले पानी ने सारी चीजें तबाह कर दीं।नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया।

रैणी: उत्तराखंड के रैणी गांव में रविवार को हर दिन की तरह लोगों के लिए सर्दी की शांत सुबह थी लेकिन लगभग दस बजे उन्हें जोरदार आवाज सुनायी दी और ऋषिगंगा में पानी का सैलाब और कीचड़ आते हुए नजर आया।इस घटना के बाद इस समय तक करीब 100 लोगों के गायब होने की खबर है। पूरे दिन के बाद रात में भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था।

मिल रही जानकारी के मुताबिक, बांध टूटने के बाद तपोवन में एक झील बन गया है जिसका जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन ने इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर टिहरी बांध से पानी छोड़ने का भी निर्देश दिया है।

जानें प्रत्यक्षदर्शी ने क्या कहा -

धरम सिंह नामक पचास वर्षीय एक ग्रामीण ने कहा, ‘‘हम यह समझ पाते कि क्या हो रहा है, उससे पहले ही ऋषिगंगा के कीचड़ वाले पानी ने सारी चीजें तबाह कर दीं।’’ इस नजारे ने लोगों को 2013 की केदारनाथ की भयावह बाढ़ की याद दिला दी जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी थी।

रविवार को कई लोगों के इस सैलाब में बह जाने की आशंका है। उनमें नदी के आसपास काम कर रहे लोग भी शामिल हैं। गांव के तीन बाशिंदे इस त्रासदी के बाद से गायब हैं। उनमें 75 वर्षीय अमृता देवी भी हैं जो ऋषि गंगा पर पुल के समीप अपने खेत में काम करने गयी थीं।

नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया-

अन्य वल्ली रानी के यशपाल हैं जो अपने मवेशी को चराने गये थे और रंजीत सिंह (25) है जो ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना में काम करते थे। नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया।

इस हिमस्खलन से वह परियोजना नष्ट हो गयी जो 2020 में ही शुरू हुई थी। मुख्य सीमा मार्ग पर एक बड़ा पुल भी बह गया। जुवा ग्वान गांव के प्रदीप राणा ने बताया कि उसी गांव का संजय सिंह भी लापता है जो अपनी बकरियां चराने गया था। ऋषि गंगा और धौली गंगा के संगम से 20 मीटर की ऊंचाई पर बने कुछ मंदिर भी बह गये।  

विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत अभियान चलाने के लिए वायुसेना मौजूद-

उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषिगंगा घाटी में रविवार को अचानक आई विकराल बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत अभियान चलाने के लिए वायुसेना के विमान तथा हेलिकॉप्टर जौलीग्रांट हवाईअड्डा पहुंच गए हैं। हवाईअड्डे के निदेशक डीके गौतम ने यहां बताया कि वायु सेना के सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस के दो भारी परिवहन विमान व दो अन्य विमान रविवार देर शाम यहां पहुंच गए।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा एमआई-17 के तीन व एक एएलएच हेलीकॉप्टर भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने के लिए आए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की दो टीमें भी यहां बचाव तथा राहत कार्य के लिए भेजी गई हैं।

(एजेंसी इनपुट)

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