'असम राइफल्स' का संचालन नियंत्रण गृह मंत्रालय को देने से चीन सीमा पर निगरानी प्रभावित होगी: भारतीय सेना
By भाषा | Updated: September 30, 2019 05:13 IST2019-09-30T05:13:05+5:302019-09-30T05:13:05+5:30
शीर्ष सैन्य सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव पर सेना ने रक्षा मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को पिछले हफ्ते गंभीरता से उठाया और उससे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा कि करीब 185 साल पुराने असम राइफल्स का संचालन नियंत्रण गृह मंत्रालय को सौंपे जाने के प्रस्ताव से वह चिंतित है।

'असम राइफल्स' का संचालन नियंत्रण गृह मंत्रालय को देने से चीन सीमा पर निगरानी प्रभावित होगी: भारतीय सेना
सेना ने गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव को ‘लाल झंडी’ दिखा दी है जिसके तहत असम राइफल्स के संचालन नियंत्रण की जिम्मेदारी मंत्रालय अपने पास लेना चाहता है। सेना का कहना है कि इस कदम से चीन के साथ लगने वाली देश की संवेदनशील सीमा की निगरानी का काम गंभीर रूप से प्रभावित होगा, वह भी तब जब चीन भारत के साथ लगने वाली सीमा पर बुनियादी सैन्य ढांचे को मजबूत कर रहा है। शीर्ष सैन्य सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए सेना ने इसके बजाए पूर्वी सेक्टर में समूची भारत-चीन सीमा को निगरानी की संपूर्ण जिम्मेदारी मांगी है जिससे किसी चीनी अतिक्रमण से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) फिलहाल सीमा के कुछ सेक्टरों पर गश्त करती है। शीर्ष सैन्य सूत्रों ने कहा कि इस प्रस्ताव पर सेना ने रक्षा मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को पिछले हफ्ते गंभीरता से उठाया और उससे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा कि करीब 185 साल पुराने असम राइफल्स का संचालन नियंत्रण गृह मंत्रालय को सौंपे जाने के प्रस्ताव से वह चिंतित है। मौजूदा समय में असम राइफल्स का प्रशासनिक प्राधिकार गृह मंत्रालय के पास है जबकि उसका परिचालन संबंधी नियंत्रण सेना के पास है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) के गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव पर विचार करने की संभावना है जिसके तहत असम राइफल्स को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के साथ मिलाने और उनका संयुक्त संचालन नियंत्रण उसे देने की बात है। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “सेना से असम राइफल्स का संचालन नियंत्रण लेकर इसे गृह मंत्रालय को सौंपे जाने से चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी का काम बुरी तरह प्रभावित होगा।”
सूत्रों ने कहा कि सेना के इस रुख से शीर्ष रक्षा पदाधिकारियों और सरकार के आला अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। असम राइफल्स में 55 हजार कर्मचारी हैं और यह म्यामां के साथ लगने वाली भारत की 1640 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करती है । इसके साथ ही असम राइफल्स अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा से लगे कुछ महत्वपूर्ण सेक्टरों में कड़ी चौकसी बरतने के लिये सेना को परिचालन और रसद संबंधी सहायता भी मुहैया कराती है। असम राइफल्स इसके साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के उग्रवाद प्रभावित राज्यों में उग्रवाद विरोधी अभियान भी चलाती है।
सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय ने पहले ही सीसीएस में पेश करने के लिए एक मसौदा नोट तैयार किया है जिसमें असम राइफल्स पर पूर्ण नियंत्रण की मांग की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि असम राइफल्स सीमा पर सख्त चौकसी बरतने में सेना की सहायता करनी है। इसके साथ ही असम राइफल्स के 70 से 80 फीसद कर्मचारी परंपरागत सैन्य भूमिका में तैनात हैं। 1835 में गठित असम राइफल्स में फिलहाल 46 बटालियन हैं और इसके परिचालन का पूर्ण नियंत्रण 1965 से ही सेना के पास है।