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राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद अनुभवहीन चापलूसों ने कांग्रेस को चलाया, बोले गुलाम नबी आजाद- उनकी अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण...

By अनिल शर्मा | Updated: August 26, 2022 15:20 IST

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखे इस्तीफे में कहा है कि "राहुल गांधी की अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था। इस बचकाने व्यवहार ने प्रधानमंत्री की अथॉरिटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।

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ठळक मुद्देगुलाम नबी आजाद ने पार्टी पर वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।5 पेज के पत्र में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह तबाह हो गई है। इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने लिखा कि राहुल गांधी के बचकाने व्यवहार ने पीएम की अथॉरिटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।

नई दिल्लीः कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है, "दुर्भाग्यवश श्री राहुल गांधी के राजनीति में आने के बाद खास तौर पर जनवरी 2013 के बाद...जब आपने (सोनिया गांधी) उन्हें उपाध्यक्ष बनाया था तब पहले से मौजूद पूरे सलाहकार तंत्र को उन्होंने ध्वस्त कर दिया था।"

गुलाम नबी आजाद ने पार्टी पर वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया और इस्तीफे में लिखा कि "सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चापलूसों ने पार्टी चलानी शुरू कर दी।" कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद सोनिया गांधी को लिखे गए 5 पेज के पत्र में गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि पार्टी 'पूरी तरह से तबाह हो गई है।'

आजाद ने लिखा कि  "दुर्भाग्य से अब 'प्रॉक्सी' को पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए तैयार किया जा रहा है। ऐसा शख्स कठपुतली की तरह ही होगा।" अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांंधी द्वारा सरकारी अध्यादेश को फाड़ने की घटना का भी जिक्र किया और इसे 2014 में कांग्रेस की हार की बड़ी वजह बताई है।

आजाद ने लिखा, "राहुल गांधी की अपरिपक्वता का सबसे बड़ा उदाहरण मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था। इस बचकाने व्यवहार ने प्रधानमंत्री की अथॉरिटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। और किसी भी चीज से ज्यादा यह इकलौता काम 2014 में कांग्रेस की हार का अहम कारण बना था।"

कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि यह अत्यंत दुख की बात है कि उन्होंने ऐसे समय में कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला किया जब पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत पूरी पार्टी महंगाई, बेरोजगारी व ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।

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