जॉर्ज फर्नांडिस: इमरजेंसी विरोध के हीरो, जेल में रहकर बिहार से इंदिरा कांग्रेस के खिलाफ जीता था लोक सभा चुनाव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 29, 2019 10:16 AM2019-01-29T10:16:40+5:302019-01-29T10:39:13+5:30
George Fernandes Death Special: जॉर्ज फर्नांडिस सबसे पहले 1967 में मुंबई से चुनाव जीतकर लोक सभा पहुंचे थे। 1977 में वो पहली बार केंद्रीय मंत्री बने। 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में देश के रक्षा मंत्री बने।
जॉर्ज फर्नांडिस को समाजवादी नेता, मजदूर नेता, आपातकाल के विरोध के प्रतीक, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सूत्रधार, देश के पूर्व रक्षा मंत्री और पूर्व रेल मंत्री जैसे कई रूपों में याद किया जाएगा। लेकिन उनकी सभी छवियों में सबसे स्थायी छवि इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 1975 में लगाये गये आपातकाल के विरोध में गिरफ़्तारी देते जॉर्ज फर्नांडिस की ही है।
जॉर्ज के एक हाथ में हथकड़ी थी। उन्हें पुलिस वैन में बैठाया जा रहा था। जॉर्ज ने हथकड़ी बंधे हाथ की मुट्ठी को बांधकर हवा में लहराया और उनकी छवि भारतीय राजनीति के इतिहास की अमर छवि बनकर कैमरे में क़ैद हो गयी।
जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म भले ही मैंगलोर में हुआ हो लेकिन उनकी राजनीतिक कर्मभूमि मुंबई (तब बॉम्बे) रही है। जॉर्ज ने मुंबई से नगरपालिका सभासद का चुनाव जीतकर चुनावी राजनीति में क़दम रखा था। 1967 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता एसवाई पाटिल को दक्षिणी मुंबई सीट से हराकर लोक सभा पहुँचे थे।
जॉर्ज को देश में उससे भी ज्यादा लोकप्रियता मजदूर संगठन के नेता के तौर पर मिली। जॉर्ज 1973 में ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने। 1974 में उन्होंने रेलकर्मियों का वेतन बढ़ाने के लिए देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। इस हड़ताल में टैक्सी ड्राइवर यूनियन, ट्रांसपोर्ट यूनियन और बिजलीकर्मी संघ भी शामिल था।
आजाद भारत के इतिहास में शायद पहली बार पूरे देश के रेलकर्मियों ने एक साथ काम बंद किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने हड़ताल कुचलने के लिए करीब 30 हजार लोगों को जेल में बंद करवा दिया था।
इमरजेंसी विरोध के हीरो जॉर्ज फर्नांडिस
जब इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाया तो सैकड़ों विरोधी नेताओं को जेल में बंद करवा दिया गया। जॉर्ज फर्नांडिस भी ऐसे नेताओं में एक थे। उनकी हथकड़ी वाली तस्वीर आज तक इमरजेंसी विरोध के प्रतीक के रूप में अखबारों में इस्तेमाल की जाती है।
लेकिन इंदिरा गांधी सरकार को जॉर्ज की लोकप्रियता का असली अंदाजा आपातकाल हटने के बाद होना था। 1977 के लोक सभा चुनाव के दौरान जॉर्ज फर्नांडिस बड़ौदा डायनामाइट केस के अभियुक्त के तौर पर जेल में ही थे। जॉर्ज ने जेल से ही बिहार के मुजफ्फरपुर से लोक सभा चुनाव का पर्चा भरा।
जेल में होने के कारण जॉर्ज फर्नांडिस एक बार भी प्रचार के लिए अपने लोक सभा क्षेत्र में नहीं जा सके। लेकिन जब चुनाव के नतीजे आये तो पूरे भारत को जॉर्ज की राष्ट्रव्यापी लोकप्रियता का परिचय मिल गया। जॉर्ज अच्छे खासे अंतर से चुनाव जीत गये। इतना ही नहीं उन्हें मोरारजी देसाई सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया।
तीन जून 1930 को मैंगलौर में जन्मे जॉर्ज का 29 जनवरी 2019 को दिल्ली में निधन हो गया। उनके साथ ही भारतीय समाजवादी राजनीति के एक तारा अंतरिक्ष में विलीन हो गया।