कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र, जानिए कैसे आतंकवादियों को किया था ढेर
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 26, 2018 12:21 PM2018-01-26T12:21:11+5:302018-01-26T12:33:33+5:30
गरुण कमांडो ज्योति प्रकाश निराला पिछले साल 18 नवंबर को जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए थे। उन्होंने अकेले दम पर हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडरों को मार गिराया था।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला, जो जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे, उन्हें शुक्रवार को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, जो शांति के समय दिया जाना वाला देश का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां राजपथ पर आयोजित 69वें गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान निराला की पत्नी को यह सम्मान प्रदान किया।
कमांडो जेपी निराला को मरणोपरांत मिले अशोक चक्र पुरस्कार को उनकी पत्नी और माँ ने राष्ट्रपति के हाथों से लिया। पुरस्कार मिलने के बाद जेपी निराला के पिता तेज नारायण सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "मैं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ कि भारत सरकार ने मेरे बेटे के बलिदान को मान दिया।"
भारतीय वायुसेना के विशेष बल के कमांडो ने जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ाई के दौरान अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। निराला 18 नवंबर 2017 को बांदीपोरा जिले के चंदरनगर गांव में गरुड़ की टुकड़ी और राष्ट्रीय राइफल द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किए गए एक आक्रामक अभियान का हिस्सा थे।
गरुड़ की टुकड़ी ने जिस घर में आतंकवादी छिपे हुए थे, वहां चारों ओर से घात लगाया। निराला ने खुद को आतंकवादियों के ठिकाने के पास रखा, ताकि आतंकवादी बच कर नहीं निकल पाए। जब सैन्य टुकड़ी आतंकवादियों के बाहर निकलने का इंतजार कर रही थी, तभी छह आतंकवादी बाहर भागते हुए आए और सैनिकों पर उन्होंने अंधाधुंध गोलियां बरसाई और हथगोले फेंकना शुरू कर दिए।
निराला ने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को घायल कर दिया। मुठभेड़ के दौरान वह भी गोली लगने से घायल हुए। गंभीर रूप जख्मी होने के बावजूद निराला ने गोलीबारी करनी जारी रखी और आखिरकार दम तोड़ दिया। इस दौरान सभी छह आतंकवादी मारे गए।