गगनयान मिशन में नहीं होगी महिला अंतरिक्ष यात्री, सैन्य बलों के टेस्ट पायलटों में से किया जाएगा चयन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 29, 2019 09:48 AM2019-08-29T09:48:40+5:302019-08-29T09:48:40+5:30
पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉस्को में इसरो के तकनीकी संपर्क केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी ताकि सहयोग में आसानी हो. गगनयान परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है. इनमें प्रौद्योगिकी विकास, यान के निर्माण और जरूरी आधारभूत ढांचे का विकास शामिल है.
भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान में किसी महिला अंतरिक्ष यात्री के होने की संभावना नहीं है क्योंकि इसरो संभावित अंतरिक्ष यात्रियों की खोज सशस्त्र बलों के टेस्ट पायलट (नए विमानों का परीक्षण करने वाले अति दक्ष पायलट में से कर रहा है और उनमें कोई भी महिला नहीं है.
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल इस मिशन में महिला के शामिल होने की संभावना नहीं दिखती, लेकिन महिलाएं सहित अन्य असैनिक भविष्य के मानव मिशन का हिस्सा होंगे. इसरो ने पहले मानव मिशन के लिए संभावित उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अगले महीने तक इसे पूरा कर लिया जाएगा.
चुने गए उम्मीदवारों को नवंबर में प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा. पहले गगनयान मिशन को 2022 में तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भेजने की योजना है. इन यात्रियों का चयन सशस्त्र बलों के टेस्ट पायलटों में से किया जाएगा. गगनयान मिशन के तहत दो मानव रहित और एक मानव मिशन को अंजाम दिया जाएगा. 10,000 करोड़ रुपए की आएगी लागत भारत ने गगनयान मिशन में सहयोग के लिए रूस और फ्रांस से करार किया है.
पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉस्को में इसरो के तकनीकी संपर्क केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दी ताकि सहयोग में आसानी हो. गगनयान परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है. इनमें प्रौद्योगिकी विकास, यान के निर्माण और जरूरी आधारभूत ढांचे का विकास शामिल है.
टेस्ट पायलटों को ही क्यों मौका?
अधिकारी ने बताया, विभिन्न देशों की ओर से पहले भेजे मानव मिशन में भी टेस्ट पायलट को ही भेजा गया. इसलिए हम भी अपने मिशन में इस परिपाटी पर कायम रहना चाहते हैं. हम सशस्त्र बलों के टेस्ट पायलट को देख रहे हैं लेकिन उनमें कोई महिला टेस्ट पायलट नहीं है. भविष्य में गैर सैन्य पृष्ठभूमि के लोग भी मिशन का हिस्सा होंगे.