नीतिन गडकरी ने कांग्रेस के मजबूत होने की उम्मीद जताई, कहा- लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष जरूरी
By विशाल कुमार | Published: March 28, 2022 07:19 AM2022-03-28T07:19:43+5:302022-03-28T07:21:55+5:30
शनिवार को पुणे में लोकमत द्वारा पत्रकारिता पुरस्कार समारोह से इतर एक साक्षात्कार में गडकरी ने कहा कि कांग्रेस के कमजोर होने के साथ, इसकी जगह क्षेत्रीय दलों ने ले ली है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
पुणे: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने कहा है कि लोकतंत्र के लिए एक मजबूत कांग्रेस महत्वपूर्ण है और यह उनकी ईमानदार इच्छा है कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो।
शनिवार को पुणे में लोकमत द्वारा पत्रकारिता पुरस्कार समारोह से इतर एक साक्षात्कार में गडकरी ने कहा कि कांग्रेस के कमजोर होने के साथ, इसकी जगह क्षेत्रीय दलों ने ले ली है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने पुणे मेट्रो डीपीआर में तेजी लाई है, जो 'अनंत भूमिगत और ओवरहेड बहस' के कारण कई वर्षों से लंबित थी।
उन्होंने कहा कि मैं एक घंटे के लिए देवेंद्र फड़णवीस के साथ बैठा और जोर देकर कहा कि हम सलाहकार की योजना के साथ आगे बढ़ेंगे। हमने उस मुद्दे पर फिर से बहस नहीं करने का संकल्प लिया और अब आप देखते हैं कि काम पूरा हो गया है। कभी-कभी आपको फैसलों को लागू करना पड़ता है।
गडकरी ने कहा कि लोकतंत्र दो पहियों पर चलता है - सत्ता पक्ष और विपक्ष। लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष जरूरी है इसलिए मेरी ईमानदार इच्छा है कि कांग्रेस पार्टी मजबूत बने। साथ ही कांग्रेस के कमजोर होने से उसकी जगह क्षेत्रीय दल ले रहे हैं जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा का पालन करने वालों को पार्टी में बने रहना चाहिए और इसके आदर्शों में विश्वास रखना चाहिए। 1978-80 में मैं भाजपा में शामिल हुआ था और पार्टी के अधिवेशन में भाग लेने के लिए पुणे आया था। जब मैं रेलवे स्टेशन पर अपने कंधों पर प्रचार सामग्री लेकर उतरा, तो मैं श्रीकांत जिचकर से मिला, जिन्होंने मुझे सुझाव दिया कि मुझे एक 'अच्छी पार्टी' में प्रवेश करना चाहिए जो मुझे एक भविष्य देगी। मैंने उनसे कहा कि मैं एक कुएं में कूद जाऊंगा और अपना जीवन समाप्त कर दूंगा लेकिन अपनी विचारधारा को नहीं छोड़ूंगा।
उन्होंने आगे कि उस समय लोकसभा में भाजपा के सिर्फ दो सांसद थे। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रयासों से समय बदला और हमें अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में एक प्रधानमंत्री मिला। इसलिए निराशा के क्षणों में अपनी विचारधारा का परित्याग नहीं करना चाहिए।