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नहीं रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय विधि आयोग के पूर्व प्रमुख न्यायमूर्ति ए आर लक्ष्मणन, दो दिन पहले ही पत्नी का निधन हुआ था

By भाषा | Updated: August 27, 2020 15:18 IST

परिवार ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी। वह 78 साल के थे और बुधवार को रात साढ़े 11 बजे तिरुचिरापल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं।

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ठळक मुद्देतिरुचिरपल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सीय प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उनकी निधन हो गया।वह मुल्लापेरियार बांध पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकार प्राप्त समिति में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य थे। न्यायमूर्ति लक्ष्मणन अरुणाचलम के निधन से दो दिन पहले ही उनकी पत्नी मीनाक्षी आची का 24 अगस्त को निधन हो गया था।केरल उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान उच्च न्यायालय तथा आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी सेवा दी।

चेन्नईः उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं भारतीय विधि आयोग के पूर्व प्रमुख न्यायमूर्ति ए आर लक्ष्मणन का दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में निधन हो गया।

उनके परिवार ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी दी। वह 78 साल के थे और बुधवार को रात साढ़े 11 बजे तिरुचिरापल्ली के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। न्यायमूर्ति लक्ष्मणन के बेटे एवं वरिष्ठ अधिवक्ता एआरएल सुरंदरेसन ने कहा, “बुधवार को सुबह 11 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्हें कराईकुडी के एक अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत स्थिर की गयी और फिर उन्हें तिरुचिरपल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सीय प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उनकी निधन हो गया।”

वह मुल्लापेरियार बांध पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकार प्राप्त समिति में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य थे। न्यायमूर्ति लक्ष्मणन अरुणाचलम के निधन से दो दिन पहले ही उनकी पत्नी मीनाक्षी आची का 24 अगस्त को निधन हो गया था।

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के देवाकोट्टई के रहने वाले न्ययामूर्ति लक्ष्मणन का जन्म 22 मार्च, 1942 में हुआ था और वह मद्रास लॉ कॉलेज से स्नातक थे और 1968 में उनका अधिवक्ता के तौर पर नामांकन हुआ था। उन्होंने तमिलनाडु सरकार की तरफ से सरकारी अभियोजक के तौर पर सेवा दी और बैंकों के स्थायी वकील भी रहे जिसके बाद उन्हें 14 जून, 1990 को मद्रास उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और राजस्थान उच्च न्यायालय तथा आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी सेवा दी। उन्हें 20 दिसंबर, 2002 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वह 22 मार्च, 2007 को सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद वह विधि आयोग (18वें विधि आयोग) के प्रमुख रहे । 

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