पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने 1996 के मामले में बरी किए जाने के लिए अदालत का रुख किया
By भाषा | Published: December 4, 2019 05:33 AM2019-12-04T05:33:28+5:302019-12-04T05:33:28+5:30
गुजरात में जामनगर सत्र न्यायालय ने भट्ट को साल 1990 के एक ‘हिरासत में मौत’ मामले में दोषी पाया है. उस समय संजीव भट्ट जामनगर में सहायक पुलिस अधीक्षक थे
गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने राजस्थान के एक वकील को कथित तौर पर फंसाने के 1996 के ड्रग प्लांटिंग मामले में खुद को बरी किए जाने संबंधी याचिका गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल की है।
भट्ट के वकील सुरीन शाह ने बताया कि पालनपुर की अदालत ने 23 साल पुराने इस मामले में उन्हें बरी किए जाने की याचिका 23 अगस्त को खारिज कर दी थी, जिसके बाद उनके मुवक्किल ने सोमवार को उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की।
भट्ट एक अन्य मामने में फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। उनकी इस याचिका पर इस सप्ताह के अंत में सुनवाई हो सकती है। भट्ट को इस मामले में पिछले साल पांच सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। भट्ट जब बनासकांठा में पुलिस अधीक्षक थे, उन पर 1996 में राजस्थान के एक वकील को झूठे मामले में फंसाने का आरोप है। उच्च न्यायालय के आदेश पर गुजरात सीआईडी ने मामले की जांच की थी।
इसके बाद भट्ट की गिरफ्तारी हुई थी। सीआईडी ने अपनी जांच में कहा था कि बनासकांठा पुलिस ने वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को एक किलोग्राम अफीम रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, जांच में पाया गया कि बनासकांठा पुलिस ने राजपुरोहित को कथित तौर पर गलत फंसाया था।