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पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद मेंः गहलोत

By भाषा | Updated: November 29, 2019 15:12 IST

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधानसभा में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा, “ उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है। पूरा देश सन्न रह गया।

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ठळक मुद्देदेश में लोकतंत्र को खतरा है और कल्पना करें कि उनमें से एक देश के प्रधान न्यायाधीश बन गए।यह रहस्य बना हुआ है। रहस्य खुलना चाहिए। जनता को पता चलना चाहिए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में मौजूदा हालात को चिंताजनक करार देते हुए दो साल पहले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों द्वारा संवाददाता सम्मेलन किए जाने की घटना का शुक्रवार को जिक्र किया और कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद में।

गहलोत भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधानसभा में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा, “ उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है। पूरा देश सन्न रह गया।

दुनिया में इससे क्या संदेश गया? चारों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है और कल्पना करें कि उनमें से एक देश के प्रधान न्यायाधीश बन गए। तो श्रीमान (रंजन) गोगोई से कोई पूछे कि आपने पहले चार लोगों के साथ जो आरोप लगाए थे वे सही थे या सीजेआई बनने के बाद वही काम किए जो चल रहे थे वे सही हैं, कौन सा सही है बताइए।’’

गहलोत ने कहा, “अब तो वह सीजेआई नहीं हैं, उन्हें देश को बताना चाहिए, देश जानना चाहता है उनसे कि आप चार जजों ने संवाददाता सम्मेलन में कुछ आरोप लगाए थे तो बाद में क्या हो गया आपको। आप बाद में अचानक ही बदल गए।

उच्चतम न्यायालय की प्रक्रिया जो पहले थी वह चलती रही आपके जमाने में भी। यह रहस्य बना हुआ है। रहस्य खुलना चाहिए। जनता को पता चलना चाहिए।” उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 में पूर्व सीजेआई गोगोई ने न्यायमूर्ति जे . चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर उच्चतम न्यायालय की कार्य प्रणाली और मामलों के आवंटन को लेकर संवाददाता सम्मेलन किया था।

गहलोत ने कहा,‘ देश में इस तरह के हालात हैं कि एक तरफ तो न्यायपालिका दबाव में है। आयकर विभाग, ईडी, सीबीआई से एक के बाद एक छापे मरवाए जा रहे हैं। कोई भी बुद्धिजीवी सरकार की व्यक्तिगत स्तर पर भी आलोचना कर दे तो राजद्रोह का मामला दर्ज हो जाता है। क्या यह संविधान में लिखा हुआ है।” 

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