नागपुरः इस विश्वविद्यालय में उड़ी नियमों की धज्जियां, एक्सटरनल ने दिए इंटरनल अंक
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 20, 2018 04:26 AM2018-06-20T04:26:34+5:302018-06-20T04:26:34+5:30
‘लोकमत समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार, नियमों के मुताबिक किसी भी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक कॉलेज के नियमित शिक्षक दे सकते हैं।
नागपुर, 20 जूनः राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग द्वारा नियमों को ताक पर रखकर कुछ कॉलेजों को फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। मामला बीएससी होम साइंस पाठ्यक्रम से जुड़ा है। पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 5 कॉलेजों में नियमित शिक्षक नहीं होने पर एक्सटरनल ने विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक (इंटरनल एसेसमेंट मॉर्क्स) भेजे। विवि ने बिना हिचकिचाहट के अंक को स्वीकार कर विद्यार्थियों के नतीजे घोषित कर दिए।
‘लोकमत समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार, नियमों के मुताबिक किसी भी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन के अंक कॉलेज के नियमित शिक्षक दे सकते हैं। किसी कॉलेज में नियमित शिक्षक नहीं होने की स्थिति में कॉलेज के अस्थायी शिक्षक एक्सटरनल की मौजूदगी में अंक दर्ज कर विवि को भेजते हैं। एक अन्य प्रावधान के मुताबिक कॉलेज में नियमित शिक्षक नहीं होने की सूरत में किसी अनुदानित मान्यता प्राप्त कॉलेज के नियमित शिक्षक संबंधित महाविद्यालय में इंटरनल के रूप में भेजे जाते हैं। उसके हस्ताक्षर से विद्यार्थियों के इंटरनल अंक विवि को भेजे जाते हैं।
सूत्रों ने बताया कि बीएससी होम साइंस विषय के मामले में ऐसा नहीं हुआ। विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए एक्सटरनल के रूप में नियुक्त किए गए शिक्षकों ने ही अंक विवि को भेज दिए। परीक्षा विभाग ने अंक को स्वीकार कर पाठय़क्रम के नतीजे घोषित कर दिए।
सूत्रों ने बताया कि परीक्षा विभाग के इस कदम से विवि के वरिष्ठ अधिकारी पूरी तरह से अनजान हैं। इस संबंध में परीक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों के अंक स्वीकार नहीं किए गए हैं। उनके नतीजे रोक दिए गए हैं जबकि सूत्रों ने कहा कि सभी के नतीजे घोषित हो चुके हैं। इस संबंध में विवि परीक्षा व मूल्यमापन के निदेशक डॉ। नीरज खटी से संपर्क नहीं हो सका।
बताया गया कि यदि किसी कॉलेज में नियमित शिक्षक नहीं हैं तो इस स्थिति में परीक्षा विभाग को परीक्षा मंडल के समक्ष मामले को रखना पड़ा है। मंडल के फैसले के अनुसार परीक्षा विभाग को कार्रवाई करनी होती है, लेकिन इस मामले को परीक्षा मंडल के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया।
(नागपुर से डॉ. आशीष दुबे की रिपोर्ट)
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