India vs Pakistan: भारत का पाकिस्तान पर 'पानी' से हमला, इतिहास में पहली बार चिनाब किया जा रह है पैदल पार
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 5, 2025 13:18 IST2025-05-05T13:18:45+5:302025-05-05T13:18:45+5:30
India vs Pakistan: इसको लेकर भारत जल्द ही इसको लेकर एक अनुरोध पत्र तटस्थ विशेषज्ञ को भेजने वाला है।

India vs Pakistan: भारत का पाकिस्तान पर 'पानी' से हमला, इतिहास में पहली बार चिनाब किया जा रह है पैदल पार
India vs Pakistan: भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद अब पाकिस्तान पर पानी वाला परमाणु बम फोड़ कर पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाना शुरू कर दिया है। यह सच है कि चिनाब नदी के सलाल प्रोजेक्ट द्वारा नदी का पानी रोक दिए जाने के कारण अखनूर चिनाब नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है जो इतिहास में अब तक मापी गई सबसे कम जल मात्रा है।
इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कुछ स्थानों पर स्थानीय लोग पैदल ही चिनाब दरिया को पार कर रहे हैं तो दूसरी ओर पाकिस्तान में पानी की आवाजाही रुक गई है, जिसमें भारत सरकार की कूटनीति देखी जा रही है।
सिंधु जल संधि को स्थगित करने के क्रम में भारत ने चिनाब दरिया के सभी बांधों से पानी को रोक कर पानी को पाकिस्तान में बहने से रोक दिया है। भारत सरकार ने सिंधु जल संधि तोड़ने के करीब 10 दिनों के भीतर यह कदम उठाया है।
इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को चिनाब नदी से मिलने वाले पानी में भारी कटौती हो सकती है। दरअसल कल रात को पाकिस्तान के साथ दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डालने के बाद अब भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध के गेट भी बंद कर दिए हैं। चिनाब का पानी रोकने का सीधा असर पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत पर देखा जा रहा है, जहां नदी के जलस्तर में भारी गिरावट आई है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चिनाब पर बगलिहार बांध को रन आफ द रिवर हाईड्रो पावर प्लांट के तहत बनाया गया था। यानी इस बांध से पानी के बहाव को अभी तक रोका नहीं जा रहा था। पानी के बहाव को बाधित किए बिना बिजली पैदा की जा रही थी।
संधि जल संधि के तहत जिन छह नदियों का जिक्र है उसमें चिनाब भी शामिल है। यह पश्चिमी नदी है और संधि के मुताबिक इस नदी के पानी का इस्तेमाल भारत पन बिजली उत्पादन के लिए कर सकता है।
इस वाटर अटैक के बाद भारत ने इसी सिंधु जल संधि को लेकर और बड़ा कदम उठाया है। उसने सिंधु जल संधि की नदी पर बन रहे किशनगंगा-रतले जल विद्युत परियोजना से जुड़े विवाद पर वर्ल्ड बैंक में चल रही सुनवाई को भी स्थगित करने को कहा है।
इसको लेकर भारत जल्द ही इसको लेकर एक अनुरोध पत्र तटस्थ विशेषज्ञ को भेजने वाला है। इसकी एक प्रति वर्ल्ड बैंक को भी दी जाएगी। भारत ने कहा है कि उसने खुद को सिंधु जल संधि से अलग कर लिया है। ऐसे में अब विवाद से जुड़ी तटस्थ विशेषज्ञ की विवाद समाधान प्रक्रिया को भी अब रोक दिया जाए। इस पर सुनवाई का कोई अर्थ नहीं रह गया है।