प्रयाग कुम्भ में पहली बार सैकड़ों कश्मीरी पंडितों ने लगायी डुबकी
By भाषा | Published: February 10, 2019 06:44 AM2019-02-10T06:44:52+5:302019-02-10T06:44:52+5:30
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 से लागू एलओसी परमिट के तहत जम्मू कश्मीर के नागरिक नियंत्रण रेखा पार अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और वहां के लोग जम्मू कश्मीर में अपने रिश्तेदारों से मिलने आते हैं।
देशभर से सैकड़ों कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने पहली बार प्रयाग कुम्भ के दौरान संगम में शुक्रवार को डुबकी लगायी। सेव शारदा कमेटी द्वारा कुम्भ मेले में ‘शारदा कुम्भ’ का आयोजन किया गया।
सेव शारदा कमेटी के प्रमुख रविंदर पंडित ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि यह पहली बार है कि देशभर से सैकड़ों कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने कुम्भ में अपना शिविर लगाया है और अपनी आराध्य देवी शारदा के लिए संगम में डुबकी लगाई है।
उन्होंने बताया, "हम लाहौर में ननकाना साहिब यात्रा की तर्ज पर शारदा पीठ को पुनः खोले जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह पीठ पाक अधिग्रहित कश्मीर में है। पहले जम्मू कश्मीर के हिंदू कई पारंपरिक मार्गों से शारदा पीठ के लिए यात्रा किया करते थे।" पंडित ने बताया कि इस कमेटी ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के उच्चतम न्यायालय से याचिका की थी जिसने सेव शारदा कमेटी के पक्ष में फैसला दिया और वहां के महानिदेशक (पुरातत्व) ने 31 दिसंबर, 2018 को पीठ की पवित्रता बहाल करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश की प्रतिलिपि सेव शारदा कमेटी के पास है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 से लागू एलओसी परमिट के तहत जम्मू कश्मीर के नागरिक नियंत्रण रेखा पार अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और वहां के लोग जम्मू कश्मीर में अपने रिश्तेदारों से मिलने आते हैं।
रविंदर पंडित ने कहा, "पाक अधिग्रहित कश्मीर में हमारा कोई रिश्तेदार नहीं है। इसलिए हम ‘एलओसी परमिट’ के लाभ से वंचित हैं। हमारी मांग है कि भारत सरकार एलओसी परमिट में संशोधन कर कश्मीरी पंडितों को शारदा पीठ की यात्रा करने की अनुमति दे और इसके बाद देशभर से हिंदुओं को शारदा पीठ की यात्रा करने की अनुमति दे।" शारदा पीठ उड़ी से 80-90 किलोमीटर दूर जिला नीलम, शारदा गांव में स्थित है जो पाक अधिग्रहित कश्मीर में है।