'मुश्किल से दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाती हैं लड़कियां', कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी पर उच्चतम न्यायालय करेगी सुनवाई, आखिर क्या है मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 23, 2024 05:47 PM2024-02-23T17:47:30+5:302024-02-23T17:48:08+5:30
उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल द्वारा दायर अपील पर भी उसी दिन सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल आठ दिसंबर को फैसले की आलोचना की थी।
![For Society A Girl Is Looser If She Gives In To Sexual Pleasure Of 2 Minutes Calcutta High Court Supreme Court will hear comment Girls ready to enjoy sexual pleasure barely for two minutes | 'मुश्किल से दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाती हैं लड़कियां', कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी पर उच्चतम न्यायालय करेगी सुनवाई, आखिर क्या है मामला For Society A Girl Is Looser If She Gives In To Sexual Pleasure Of 2 Minutes Calcutta High Court Supreme Court will hear comment Girls ready to enjoy sexual pleasure barely for two minutes | 'मुश्किल से दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाती हैं लड़कियां', कलकत्ता हाई कोर्ट की टिप्पणी पर उच्चतम न्यायालय करेगी सुनवाई, आखिर क्या है मामला](https://d3pc1xvrcw35tl.cloudfront.net/sm/images/420x315/supreme-court_201909116861.png)
सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह दो मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले से जुड़े मामले में सुनवाई करेगा जिसमें न्यायाधीशों ने किशोरवय वाली लड़कियों को ‘यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ करने की सलाह दी थी। शीर्ष अदालत इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर अपील पर भी उसी दिन सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कथित यौन उत्पीड़न के एक मामले में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों पर संज्ञान लिया था। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2023 के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल द्वारा दायर अपील पर भी उसी दिन सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल आठ दिसंबर को फैसले की आलोचना की थी।
उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को ‘अत्यधिक आपत्तिजनक और पूरी तरह अनुचित’ करार दिया था। शीर्ष अदालत, जिसने स्वत: संज्ञान लेकर एक रिट याचिका जारी की थी, ने कहा कि न्यायाधीशों से निर्णय लिखते समय ‘उपदेश’ देने की अपेक्षा नहीं की जाती है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि किशोरियों को ‘यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए’ क्योंकि ‘‘समाज की नजर में वह उस समय (प्रतिष्ठा) गंवा देने वाली हो जाती हैं जब वह मुश्किल से दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाती हैं।’’
उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी, जिसे यौन उत्पीड़न के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई थी। उच्च न्यायालय ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया था। रिट याचिका और राज्य की अपील, दोनों शुक्रवार को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आई। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कथित पीड़ित को नोटिस जारी किया है और वकील के साथ उसकी उपस्थिति जरूरी है। पीठ ने कहा कि उसे अपने वकील के साथ अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा।
रिट याचिका और राज्य की अपील को दो मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए पीठ ने कहा कि लड़की को सात मार्च को उसके समक्ष उपस्थित होना होगा। शीर्ष अदालत ने चार जनवरी की सुनवाई में पाया था कि उच्च न्यायालय के फैसले में कुछ पैराग्राफ ‘समस्याजनक’ थे और ऐसे निर्णय लिखना ‘बिल्कुल गलत’ था।