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‘राज धर्म’ निभाइए, ईंधन की कीमतें घटाइए: सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा

By भाषा | Updated: February 21, 2021 22:08 IST

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नयी दिल्ली, 21 फरवरी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश में ईंधन और गैस की बढ़ती कीमतों को ले कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रविवार को पत्र लिखा और आरोप लगाया कि सरकार लोगों के कष्ट और पीड़ा दूर करने के बजाए उनकी तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है। गांधी ने मोदी से ‘राज धर्म’ का पालन करने और उत्पाद शुल्क में आंशिक कटौती करके कीमतें कम करने की अपील की।

गांधी ने मोदी को तीन पेज का पत्र लिख कर कहा कि हकीकत यह है कि सकल घरेलू उत्पाद में ‘भारी गिरावट’ है और गैस, डीजल तथा पेट्रोल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं और इन पर कोई लगाम नहीं है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकारें लोगों का बोझ कम करने के लिए चुनी जाती हैं, न कि उनके हितों पर कुठाराघात करने के लिए।

गांधी ने मोदी को पत्र लिख कर कहा, ‘‘मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल और रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूं। एक तरफ भारत में रोजगार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है तो वहीं दूसरी ओर मध्यम वर्ग और समाज में हाशिए पर रहने वाले लोग रोजी-रोजी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तेजी से बढ़ती महंगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि संकट के इस वक्त में भी सरकार लोगों के कष्ट और पीड़ा दूर करने के बजाए उनके दुख और तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है।’’

मूल्य वृद्धि से दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.58 रुपए प्रति लीटर और मुंबई में 97 रुपए प्रति लीटर हो गई है।

गांधी ने पत्र में कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि इस समय ‘‘ऐतिहासिक और अव्यावहारिक है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जो बात देश के तमाम नागरिकों को परेशान कर रही है वह यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें मध्यम होने के बावजूद कीमतों में वृद्धि की गई है। संदर्भ के तौर पर कच्चे तेल की कीमतें संप्रग सरकार के कार्यकाल से लगभग आधी हैं, इसलिए दाम बढ़ाने की आपकी सरकार की हरकत (लगातार 12 दिन) विशुद्ध रूप से दुस्साहसिक मुनाफाखोरी का उदाहरण है।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ इसी के साथ यह भी परेशान करने वाली बात है कि लगभग सात वर्ष से सत्ता में होने के बाद भी सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन के लिए पूर्व की सरकार पर दोष मढ़ती आ रही है।’’

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि देश में 2020 में कच्चे तेल का उत्पादन 18 साल के न्यूनतम स्तर पर है।

उन्होंने कहा,‘‘ मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि कैसे कोई सरकार जनता को प्रभावित करने वाले ऐसे बेपरवाह और असंवेदनशील कदमों को जायज ठहरा सकती है। आपकी सरकार ने डीजल पर उत्पाद शुल्क 820 फीसदी और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 258 फीसदी बढ़ा कर पिछले साढ़े छह वर्षों में 21 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कर वसूली की है।’’

गांधी ने कहा कि पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल होने के बाद भी ईंधन की कीमतों को कम करने से इनकार करना सरकार की क्रूरता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विडंबना है कि सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर अत्यधिक उत्पाद शुल्क लगाने को ले कर ‘अनुचित रूप से’’ उत्साही रही है। पेट्रोल पर 33 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 32 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क, इन ईंधनों के आधार मूल्य से भी अधिक है।

उन्होंने कहा,‘‘ यह आर्थिक कुप्रबंधन को छिपाने के लिए उगाही के समान है। विपक्ष का प्रमुख दल होने के नाते मैं आपसे राजधर्म निभाने की अपील करती हूं और उत्पाद शुल्क में आंशिक कटौती करके ईंधन की कीमतें कम करने का अनुरोध करती हूं।’’

गांधी ने कहा कि घरेलू गैर रियायती सिलेंडर की कीमतें दिल्ली में 769 रुपए और उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में 800 रुपए को पार कर गई हैं, जो कि निर्दयतापूर्ण है क्योंकि इससे हर घर प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा कि क्या सरकार के पास दिसंबर 2020 से ढ़ाई माह में एक सिलेंडर की कीमत 175 रुपए बढ़ाने का कोई स्पष्टीकरण हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप ईंधन की कीमतों में तत्काल कमी करके कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ मध्यम श्रेणी, वेतनभोगी तबके, किसानों, गरीबों और आम आदमी को दें। ये लोग लंबे समय से अभूतपूर्व आर्थिक मंदी, चौतरफा बेरोजगारी, वेतन में कमी और नौकरियां खो देने के कारण भयावह संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा,‘‘ मुझे उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि यह वक्त आपकी सरकार के लिए समाधान पर ध्यान केन्द्रित करने का है, न कि बहाने बनाने का। भारत इससे बेहतर का हकदार है।’’

गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार को ईंधन की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर लगातार घेरती आ रही है और शुक्रवार को पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री इस बात का जवाब दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बावजूद लोगों को ज्यादा पैसा देने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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