चारा घोटालाः लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई 27 नवंबर तक टली
By भाषा | Published: November 6, 2020 06:21 PM2020-11-06T18:21:05+5:302020-11-06T18:21:05+5:30
रांची, छह नवंबर चारा घोटाले से संबंधित दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये के गबन के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि सीबीआई ने अपना जवाब दाखिल करने के लिये समय मांग लिया। अब इस मामले मे 27 नवंबर को सुनवाई होगी।
चारा घोटाले के चार विभिन्न मामले में दोषी ठहराये गए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री इस मामले में जमानत मिलने पर जेल से बाहर आ सकेंगे। इससे पहले तीन अन्य मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।
प्रसाद के परिवार और पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके शुक्रवार को रिहा होने की उम्मीद थी, लेकिन अब उन्हें कुछ और समय तक इंतजार करना होगा।
राजद सुप्रीमो दिसंबर 2018 से रांची की जेल में हैं।
न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की एकल पीठ के समक्ष जमानत याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही जांच ब्यूरो ने कहा कि इस मामले में लालू के आधी से अधिक सजा पूरी कर लेने के दावे एवं अन्य दावों के बारे में वह लिखित रूप से अपना पक्ष रखेगी जिसके लिए उसे समय दिया जाये।
सीबीआई के इस कथन पर लालू प्रसाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘सीबीआई जानबूझकर अनावश्यक रूप से इस मामले में विलंब कर रही है।’’
सिब्बल ने कहा कि दुमका कोषागार से जुड़े चारा घोटाले के इस मामले में आज सुनवाई के दिन तक लालू प्रसाद ने 42 माह, 26 दिनों की सजा काट ली है जो लालू को दी गयी सात वर्ष की सजा के आधे समय से अधिक है। ऐसे में उन्हें उच्च न्यायालय को जमानत दे देनी चाहिए।
सिब्बल के इस दावे का सीबीआई ने विरोध किया और कहा कि सजा की आधी अवधि पूरी कर लेने के उनके दावे और लालू की बीमारी और इलाज तथा अन्य मुद्दों पर वह न्यायालय को लिखित तौर पर अपना पक्ष देगी जिसके लिए उसे समय चाहिए।
सीबीआई का पक्ष सुनने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू की जमानत की याचिका पर सुनवाई 27 नवंबर तक के लिए टाल दी।
दुमका कोषागार से गबन के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में सात वर्ष एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में अलग से सात वर्ष की सश्रम कैद की सजा सुनायी है।
इस मामले में सीबीआई का कहना है कि अभी यह भी तय नहीं हुआ है कि लालू की यह दोनों सजाएं एक साथ चल रही हैं अथवा दोनों एक के बाद एक चलेंगी। यदि दोनों सजाएं एक के बाद एक चलेंगी तो लालू को भ्रष्टाचार के इस मामले में कुल चौदह वर्ष की कैद काटनी है।
इससे पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय ने नौ अक्तूबर को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े 33 करोड़, 67 लाख रुपये के चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में आधी सजा पूरी कर लेने के कारण जमानत दे दी थी।
इस बीच रिम्स में लालू के इलाज तथा उनसे मुलाकातियों के बारे में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार तथा रिम्स प्रशासन से मांगी गयी रिपोर्टों पर भी बहस 27 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) ने न्यायालय के आदेश के अनुरूप लालू के इलाज का विवरण सौंप दिया लेकिन जेल प्रशासन और जिला प्रशासन की रिपोर्ट देर से जमा होने के कारण उच्च न्यायालय की पीठ के पास अपलोड होकर समय पर नहीं पहुंच सकी। लिहाजा न्यायालय ने सुनवाई 27 नवंबर के लिए टाल दी।
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