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नेपाल के तराई ईलाकों में लगातार हो रही बारिश से बिहार में बाढ़ का खतरा, दर्जनों गांवों में घुसा पानी

By एस पी सिन्हा | Updated: July 12, 2020 19:51 IST

नेपाल सीमा पर पश्चिम चंपारण स्थित गंडक बराज के सभी फाटकों को खोल दिया गया है. बराज को हाईअलर्ट पर रखा गया है.

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ठळक मुद्देनेपाल का आरोप है कि अगस्त 1963 में दल्लवा में सप्तकोशी बांध के फटने के बाद नेपाल सरकार के नेतृत्व में भारत ने लगभग 5 किमी दूर एक और तटबंध बनाया.भारत के उदासीनता के कारण 57 साल के बाद उसी जगह पर तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है.किशनगंज-ठाकुरगंज मुख्य पथ पर कौआबाड़ी के समीप सड़क के उपर से महानंदा का पानी बह रहा है.

पटना: नेपाल के तराई ईलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बिहार में नदियां उफान पर हैं. बागमती, कमला, गंडक व कोसी सहित अन्‍य कई नदियों में पानी लगातार बढ रहा है.

कोसी पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है. अगर ऐसा हुआ तो फिर से बिहार में बाढ़ तबाही मचा सकता है. कहा जा रहा है कि नेपाल के सप्तकोशी के पहाडी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से नेपाल में सुनसरी और सप्तरी में कोसी के पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ गया है. 

नेपाल सीमा पर पश्चिम चंपारण स्थित गंडक बराज के सभी फाटकों को खोला गया

इससे बिहार में जगह-जगह बाढ़ का कहर शुरू हो गया है. नेपाल सीमा पर पश्चिम चंपारण स्थित गंडक बराज के सभी फाटकों को खोल दिया गया है. बराज को हाईअलर्ट पर रखा गया है.

किशनगंज व चंपारण के निचले इलाकों में पानी घुस गया है तो अररिया के कई इलाकों का मुख्यालय से सडक संपर्क भंग हो गया है. कोसी, बागमती खतरे के निशान के पार हैं. अन्‍य नदियां भी उफान मार रहीं हैं.

सीतामढी में भी बाढ को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है. लगातार हो रही बारिश से महानंदा, मेंची, कनकई, डोक समेत सभी नदियां उफान पर हैं. महानंदा खतरे के निशान से 70 सेमी उपर बह रही है.

किशनगंज के कई प्रखंड के एक दर्जन से अधिक गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

किशनगंज के दिघलबैंक, पोठिया व कोचाधामन प्रखंड क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. कनकई व कौल नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों में पानी प्रवेश कर चुका है. इसी तरह पोठिया व कोचाधामन प्रखंड में भी कई गांवों में महानंदा, मेंची व डोक नदी का पानी फैल रहा है.

किशनगंज-ठाकुरगंज मुख्य पथ पर कौआबाडी के समीप सडक के उपर से महानंदा का पानी बह रहा है.बताया जाता है कि नेपाल के सुनपरी और सप्तरी जिले बिहार सीमा से सटे हुए हैं.

अगर ऐसे में बांध टूटता तो इसका खामियाजा बिहार को उठाना पडेगा. नेपाली मीडिया ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह बांध मरम्मती में लापरवाही बरत रहा है. नेपाल सहित सिकटी के जल ग्रहण क्षेत्र मे लगातार भारी बारिश ने प्रखंड क्षेत्र होकर बहने वाली बकरा, नूना सहित सहायक नदियों मे उफान है.

रतवा नदी भी उफान पर, सड़क तक पहुंचा पानी

रतवा नदी का पानी सडक के उपर बह रहा है. कई इलाकों का मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया है. नेपाल और भारत में हुए कोसी समझौते के अनुसार तटबंध की सुरक्षा और बचाव भारत को करना है.

नेपाल का आरोप है कि अगस्त 1963 में दल्लवा में सप्तकोशी बांध के फटने के बाद नेपाल सरकार के नेतृत्व में भारत ने लगभग 5 किमी दूर एक और तटबंध बनाया. लेकिन भारत के उदासीनता के कारण 57 साल के बाद उसी जगह पर तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है.

नदी का प्रवाह बदलने से पश्चिमी तटबंध पर दबाव बढ़ गया है. यहां बता दें कि 2008 में कुसहा बांध टूट गया था. जिसके बाद बिहार के 18 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई थी. बाढ से करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 लोगों की जान गई थी.

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