Flashback 2019: इस साल देश के इन विश्वविद्यालयों में छात्रों ने किए आंदोलन, अधिकारों के लिए सड़क पर भी उतरे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 14, 2019 05:25 PM2019-12-14T17:25:45+5:302019-12-14T17:25:45+5:30

Students movements in University Campuses: जब लोग इस साल को लोग घोर मंहगाई, बेरोजगारी के बावजूद कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों के कमजोर प्रतिक्रिया के लिए याद करेंगे। इन सबके बीच इस साल को यदि किसी महत्वपूर्ण वजहों से याद किया जाएगा तो वह निश्चित रूप से यूनिवर्सिटी कैंपसों से उठने छात्रों के आंदोलन के लिए होगा। 

Flashback 2019: top university Students movements in this year, all you need to know | Flashback 2019: इस साल देश के इन विश्वविद्यालयों में छात्रों ने किए आंदोलन, अधिकारों के लिए सड़क पर भी उतरे

2019 फ्लैश बैक: देश के इन पांच यूनिवर्सिटी में अपने हक व अधिकार के लिए छात्रों ने किया आंदोलन

Highlightsजवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्रों ने फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ दर्ज कराया विरोध। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में यूनियन बहाली की मांग को लेकर छात्र अनशन पर बैठे।

साल 2019 अपने आखिरी पड़ाव पर है। इस साल के समाप्त होते ही देश व दुनिया  21 वीं सदी के एक नए वर्ष में दाखिल हो जाएगा। इस साल को कई सारी महत्वपूर्ण वजहों से याद किया जाएगा। एक तरफ जहां इस साल को नरेंद्र मोदी द्वारा दोबारा रिकॉर्ड वोटों से चुनाव जीतकर सरकार बनाने के लिए याद किया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ इस साल को  भारतीय राजनीति में विपक्ष की कमजोर भूमिका के लिए भी याद किया जाएगा।

जब लोग इस साल को लोग प्रियंका चोपड़ा की शादी और अभिनंदन की वापसी के लिए याद करेंगे। तभी लोग घोर मंहगाई, बेरोजगारी के बावजूद कांग्रेस व दूसरे विपक्षी दलों के कमजोर प्रतिक्रिया के लिए भी इस साल को याद करेंगे। इन सबके बीच इस साल को यदि किसी महत्वपूर्ण वजहों से याद किया जाएगा तो वह निश्चित रूप से यूनिवर्सिटी कैंपसों से उठने छात्रों के आंदोलन के लिए होगा। 

साल 2019 में देश के जिन युवाओं ने अपने बेहतर भविष्य के लिए भाजपा सरकार बनाया। उन्हीं युवाओं ने वायदे पूरे करने में असफल साबित होने पर भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन भी किया। जाधवपुर यूनिवर्सिटी हो या फिर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी हो या फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी हर जगह के छात्रों ने अपने हक व अधिकार के लिए सरकार के विरोध में अपना मजबूत विरोध दर्ज कराया।

युवाओं के विरोध ने सिर्फ दिल्ली की सड़को को नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों के सांस को भी कुछ समय के लिए रोकने के लिए मजबूर कर दिया। छात्रों के कई मांगों के सामने यूनिवर्सिटी प्रशासन व सरकार को घुटने टेकने के लिए मजबूर होना पड़ा। शिक्षा व रोजगार के लिए कैंपस परिसर से उठने वाली आवाज ने आंदोलन का रूप ले लिया। जब विपक्ष हाथ पर हाथ धरे बैठी थी, तब छात्रों ने अपने मुद्दे को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। आइये ऐसे ही कुछ आंदोलन के बारे में जानते हैं-

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी 
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नव संसाधन विकास मंत्रालय की लिस्ट में टॉप 3 यूनिवर्सिटी में यह संस्थान भी है। इस यूनिवर्सिटी परिसर में पढ़ने वाले छात्र अपने विषय के साथ देश विदेश के मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। यही वजह है कि एकेडमिक व राजनीतिक रूप से यह यूनिवर्सिटी काफी देश भर में काफी महत्वपूर्ण है। हाल के दिनों में हॉस्टल फीस बढ़ाकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यहां पढ़ने वाले छात्रों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया। 

दरअसल, जेएनयू प्रशासन की बढ़ोतरी के लिए तर्क दिया कि शुल्क को पिछले 19 साल से नहीं बढ़ाया गया है। जबकि JNUSU ने इसके खिलाफ विरोध करते हुए कहा कि वार्षिक रिपोर्टों का हवाला दिया और कहा कि 40% से अधिक छात्र कम आय वाले समूहों से आते हैं और बढ़ोतरी का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में छात्रों के आंदोलन ने इतना तिखा हो गया कि सरकार को छात्रों के आगे झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। जब हजारों छात्र हाथों में झंडा लिए पुलिस धारा 144 को तोड़कर दिल्ली की सड़कों पर निकले तो जैसे दिल्ली कुछ वक्त के लिए थम सा गया। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार को तुरंत तीन सदस्यी कमेटी बनाना पड़ा। इस कमेटी ने छात्रों व शिक्षकों से बात करने के बाद सरकार को रिपोर्ट दिया है। इन सबके बावजूद माह भर से अधिक समय से जेएनयू के छात्रों का आंदोलन जारी है। हालांकि, इससे पहले भी जेएनयू के छात्र नेट, जेआरएफ आदि को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराते रहे हैं। इस यूनिवर्सिटी कैंपस ने एक तरह से कहें तो देश के युवाओं के बीच हक व अधिकार के लिए क्रांति की बीज बो दिया है।

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी 
इसी साल के 9 जुलाई को नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्राओं ने एक शिक्षक पर यौण शोषण का आरोप लगाकर एक बड़ा आंदोलन किया। रात में लड़कियों के लिए हॉस्टल बंद होने का समय रात आठ बजे से बढ़ाकर 10:30 बजे किये जाने के विरोध में भी छात्राओं ने अपना आंदोलन किया। इन दोनों मामले में किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। इन सबके बावजूद छात्रों ने विरोध दर्ज कराया। छात्र व छात्राओं के इस आंदोलन से यूनिवर्सिटी प्रशासन के पैर फूलने लगे, तो प्रशासन ने छात्रों की सभी मांगों को मान लिया था। दरअसल, इसी आंदोलन के समय यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आने वाले थे। इसी वजह से छात्रों के आंदोलन के आगे यूनिवर्सिटी को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा, 13 दिसंबर को नागरिकता कानून के खिलाफ भी इस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया था।   

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी 
अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में इस साल छात्रों ने तब प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया जब प्रशासन ने साल 2019-20 के लिए छात्र यूनियन के चुनाव से मना कर दिया था। यूनियन चुनाव को लेकर छात्रों ने  विरोध किया। इसके अलाव, जिन्ना के फोटो को लेकर भाजपा नेता व हिन्दू परिषद के लोगों द्वारा कैंपस में प्रवेश कर छात्रों के साथ मारपीट करने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी के लिए छात्र सड़क पर आ गए। इसके अलावा, नागरिकता कानून बनने के बाद इसके खिलाफ इन दिनों इस यूनिवर्सिटी के छात्र सड़क पर उतर कर विरोध दर्ज करा रहे हैं।

जाधवपुर यूनिवर्सिटी 
पश्चिम बंगाल के जाधवपुर यूनिवर्सिटी में इस साल छात्रों ने सरकार के कई फैसलों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। यहां छात्रों ने कैंपस में बाबुल सुप्रीयो के आने के खिलाफ प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि भाजपा सरकार ने छात्रों पर फीस की बोझ डाल दी है। इसके अलावा छात्रों का मानना है कि सरकार एकेडमी  में दक्षिणपंथी सोच को थोपने का प्रयास कर रही है। इन सब मुद्दों के अलावा यूजीसी के फैसले के खिलाफ भी यहां के छात्रों ने अपना विरोध समय-समय पर विरोध जताया है। बंगाल में हो रहे हिंसा को लेकर भी यहां के छात्रों ने अपनी आवाज मजबूती से उठाई। 

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी   
इस यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपनी क्लास व यूनियन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इन छात्रों ने अपनी हार को लेकर थक हारकर कुलपति हटाओ का भी नारा दिया। इसके अलाव,  विश्वविद्यालय ने सभी प्रवेश परीक्षाएं ऑनलाइन कराने का फ़ैसला किया जिसका छात्रों ने ये कहते हुए विरोध किया कि तमाम छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं और वो ऑनलाइन प्रक्रिया को ठीक से नहीं समझ पा रहे हैं इसलिए ऑफ़लाइन का भी विकल्प दिया जाए।

Web Title: Flashback 2019: top university Students movements in this year, all you need to know

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