जोधपुर और बाड़मेर में औद्योगिक प्रदूषण की निगरानी के लिए बनेगी पांच सदस्यीय समिति
By भाषा | Published: November 25, 2020 03:57 PM2020-11-25T15:57:08+5:302020-11-25T15:57:08+5:30
नयी दिल्ली, 25 नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राजस्थान के जोधपुर और बाड़मेर जिलों में स्थित औद्योगिक इकाइयों द्वारा हो रहे प्रदूषण की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करने का निर्णय लिया है।
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इकाइयों से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ है जो स्वच्छ पर्यावरण में रहने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का अपनी अर्जी में यह कहना कि उनके पास पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं, शासन और राज्य के संवैधानिक दायित्व की विफलता को स्वीकार करने जैसा है।
पीठ ने कहा, “यदि जल अधिनियम के लागू होने के 56 साल बाद भी जलाशयों में कचरे का निस्तारण हो रहा है तो यह कानून का सरासर उल्लंघन है। यह आपराधिक मामला है जिसमें सजा का प्रावधान है। निश्चित रूप से यह राज्य सरकार की विफलता है और कर्मचारियों की कमी का बहाना नहीं बनाया जा सकता है।’’
अधिकरण ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार की रक्षा के लिए कानून लागू करना संवैधानिक कर्तव्य है।
पीठ ने कहा, “हम पांच सदस्यीय निगरानी समिति गठित करने का आदेश देते हैं। समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र तात्या होंगे जो झारखंड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं। समिति जोधपुर में होगी और इसमें सीपीसीबी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि और जिलाधिकारी शामिल होंगे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।