पांच करोड़ गन्ना किसान और 5 लाख श्रमिकों को तोहफा, 60 लाख टन चीनी निर्यात पर सब्सिडी देगी केंद्र सरकार
By सतीश कुमार सिंह | Published: December 16, 2020 03:53 PM2020-12-16T15:53:50+5:302020-12-16T20:59:12+5:30
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी है। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को यह जानकारी दी।
नई दिल्लीः किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ना किसानों का तोहफा दिया है। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है।
कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने इसकी जानकारी दी। सरकार 60 लाख चीनी निर्यात करेगी। उससे जो आय और कमाई होगी उसे 5 करोड़ किसानों के खाते में डाला जाएगा। विभिन्न चीनी मिलों में 5 करोड़ किसान और 5 लाख श्रमिकों को फायदा होगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस साल शक्कर का उत्पादन 310 लाख टन होगा। देश की खपत 260 लाख टन है। शक्कर का दाम कम होने की वजह से किसान और उद्योग संकट में है। इसको मात देने के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात करने और निर्यात को सब्सिडी देने का फैसला किया गया है।
3500 करोड़ रुपए की सब्सिडी, प्रत्यक्ष निर्यात का मूल्य 18000 करोड़ रु. किसानों के खाते में जाएगा। इसके अलावा घोषित सब्सिडी का 5361 करोड़ रुपया एक सप्ताह में किसानों के खाते में जमा कर दिया जाएगा। एक हफ्ते के भीतर ही 5000 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी किसानों को मिलेगी, 60 लाख टन चीनी को 6 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से निर्यात किया जाएगा।
चीनी निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी
उम्मीद है कि इससे चीनी मिलों की बिक्री बढ़ेगी और नकद धन आने से उन्हें किसानों के गन्ने का के बकाये का भुगतान करने में मदद मिलेगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद बताया कि सीसीईए ने 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी है। सब्सिडी की राशि सीधे किसानों को दी जाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि चीनी उद्योग के साथ गन्ना किसान भी संकट में हैं।
देश में चीनी का उत्पादन खपत से अधिक है। इस बार उप्तादन अनुमानित 310 लाख टन रहेगा जबकि घरेलू मांग 260 लाख टन की है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पांच करोड़ किसानों को लाभ होगा। सरकार ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान एकमुश्त 10,448 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी दी थी। इससे सरकारी खजाने पर 6,268 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीनी मिलों ने 2019-20 के विपणन सत्र में 60 लाख टन निर्धारित कोटा की तुलना में 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
It'll help 5 Cr farmers & 5 lakh workers in various sugar mills. Farmers will get 3 credits- within 1 week farmers will get Rs5361 cr, Rs18,000 cr of export running to be credited to their accounts to the extent of their dues, & Rs 3500 cr, the subsidy decided today: P Javadekar https://t.co/zvE6UieiJb
— ANI (@ANI) December 16, 2020
सरकार ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने गन्ना किसानों के लिए राहत, पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली ढांचागत सुविधाओं में सुधार और स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दी है। दूरसंचार विभाग के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय- डिजिटल संचार आयोग ने मई में स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी थी। यह मंजूरी मंत्रिमंडल की अनुमति पर निर्भर थी।
दूरसंचार विभाग को अगले दौर की नीलामी के लिये अधिसूचना जारी करना है। इसके तहत 5.22 लाख करोड़ रुपये मूल्य की रेडियो तरंगों की बिक्री की जाएगी। दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के अनुसार 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम बिना किसी उपयोग के नीलामी के लिये पड़ा है।
The notice inviting application to be issued this month itself and by March 2021 we propose to hold the auction of these spectrums: Union Minister Ravi Shankar Prasad https://t.co/oVcJ1B79y0
— ANI (@ANI) December 16, 2020
दूरसंचार मंत्रालय को दूरसंचार परिचालकों से स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में औसतन 5 प्रतिशत राजस्व हिस्सा मिलता है। इसका आकलन कंपनियों के पास उपलब्ध स्पेक्ट्रम के आधार पर होता है। इसके अलावा संचार सेवाओं की बिक्री से प्राप्त आय में से लाइसेंस शुल्क के रूप में 8 प्रतिशत हिस्सा मिलता है।
नीति आयोग समिति की चीनी मिलों की अच्छी सेहत के लिये गन्ना मूल्य को चीनी दाम से जोड़ने की सिफारिश
नीति आयोग के एक कार्यबल ने चीनी उद्योग की बेहतर वित्तीय सेहत के लिए गन्ने की कीमतों को चीनी के बाजार मूल्य से जोड़ने की सिफारिश की है। कार्यबल ने चीनी मिलों को उत्पादन लागत को निकालने में मदद करने के लिए चीनी के न्यूनतम मूल्य को बढ़ाकर एकमुश्त 33 रुपये प्रति किलो करने की भी बात की है।
नीति अयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद की अध्यक्षता में 'गन्ना और चीनी उद्योग' पर पैनल की रिपोर्ट को मार्च 2020 में अंतिम रूप दिया गया था। कार्यबल ने किसानों को उपयुक्त प्रोत्साहन प्रदान करके गन्ने की खेती के तहत आने वाले कुछ रकबों में कम पानी की आवश्यकता वाले फसलों की खेती को अपनाने की भी सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कार्य बल को लगता है कि गन्ना किसानों के बकाया राशि की समस्या को दूर करने और चीनी उद्योग को वित्तीय रूप से स्वस्थ बनाए रखने के लिए, गन्ने की कीमतों को निश्चित तौर पर चीनी के दाम से जोड़ा जाना चाहिए।’’