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कर्नाटक में ई-गेमिंग के तहत पहला मामला दर्ज, राज्य में ड्रीम 11 ऐप को लेकर कानून सख्त

By दीप्ती कुमारी | Updated: October 13, 2021 14:30 IST

क्रिकेट और अन्य तरह के गेम आजकल ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है, जिसमें लोग पैसे लेकर खेलते हैं । इस मामले में कर्नाटक सरकार ने काफी सख्त कदम उठाए हैं । ताकि इसे कानून के दायरे में लाया जा सके ।

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ठळक मुद्देकर्नाटक पुलिस ने ई-गेमिंग के तहत पहला मामला दर्ज किया कर्नाटक पुलिस अधिनियम के तहत ड्रीम 11 के संस्थापक पर मामला दर्जई-गेमिंग को लेकर राज्य सरकार काफी सख्त है

बेंगलुरू :  भारत के उभरते हुए गेमिंग उद्योग पर कर्नाटक सरकार की ओर से एक बड़ा  कदम उठाया गया है , जिसके तहत कर्नाटक सरकार ने हाल ही में संशोधित पुलिस अधिनियम का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए ड्रीम 11 के सह-संस्थापक के खिलाफ अपना पहला मामला दर्ज किया ।

अन्नपूर्णेश्वरी पुलिस स्टेशन में 7 अक्टूबर को दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, एक व्यक्ति ने इंटरनेट पर ड्रीम 11 की खोज की और पाया कि यह खिलाड़ियों को 'वास्तविक जीवन के मैच के आधार पर अपनी फैंटेसी टीम बनाने और अधिकतम अंक हासिल करने और रोमांचक जीत हासिल करने का मंच प्रदान करता है ।

वेबसाइट की खोज करने पर उन्होंने महसूस किया कि यह खेलों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देता है और यह गेम कर्नाटक पुलिस अधिनियम (संशोधित) 2021 की धारा 80 के तहत अपराध है और इसलिए पुलिस ने इस मामले में  शिकायत दर्ज की ।

अब, ड्रीम 11 भारत में फंतासी खेलों में सबसे पुराने और सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक है। इसके 110 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं और आईपीएल 2020 के दौरान इसके  5.3 मिलियन समवर्ती उपयोगकर्ताओं का रिकॉर्ड हासिल किया । गेमिंग स्टार्ट-अप ने अपने कर्नाटक संचालन को तुरंत निलंबित करके तुरंत प्रतिक्रिया दी ।

कंपनी ने आगे कहा - "चूंकि इन राज्यों के कानून अस्पष्ट हैं जो व्यक्तियों को इस तरह के  कौशल के खेल में भाग लेने से रोकते हैं । इस खेल में प्रतिभागियों को प्रवेश करने के लिए भुगतान करना पड़ता है । कर्नाटक में रहने वाले व्यक्तियों को भुगतान प्रतियोगिताओं में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा । अपने उपयोगकर्ताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए, हमने कर्नाटक में संचालन को निलंबित करने का निर्णय लिया है ।"

ड्रीम 11  फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) का एक हिस्सा है,  गेमिंग प्लेटफॉर्म की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन का कहना है कि विचाराधीन कानून फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटरों पर लागू नहीं होना चाहिए । 

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