खुद में लगाई आग, इलाज के दौरान दम तोड़ा, उसकी थैली से CAA, NRC, NPR के विरोध में छपे पर्चे मिले थे
By भाषा | Published: January 27, 2020 02:41 PM2020-01-27T14:41:24+5:302020-01-27T14:41:24+5:30
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस को मौके पर पड़ी उसकी थैली से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के विरोध में छपे पर्चे मिले थे। तुकोगंज पुलिस थाने के प्रभारी निर्मल कुमार श्रीवास ने बताया कि रमेशचंद्र प्रजापत (72) ने शुक्रवार की रात गीता भवन चौराहे पर कथित तौर पर खुद पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा ली थी।
सनसनीखेज घटनाक्रम के दौरान यहां तीन दिन पहले आम चौराहे पर कथित तौर पर खुद को आग लगाने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 72 वर्षीय कार्यकर्ता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस को मौके पर पड़ी उसकी थैली से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के विरोध में छपे पर्चे मिले थे। तुकोगंज पुलिस थाने के प्रभारी निर्मल कुमार श्रीवास ने बताया कि रमेशचंद्र प्रजापत (72) ने शुक्रवार की रात गीता भवन चौराहे पर कथित तौर पर खुद पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा ली थी।
उन्होंने बताया कि आत्मदाह के प्रयास में बुरी तरह झुलसे प्रजापत को शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उनकी रविवार शाम मौत हो गयी। उनके शव का सोमवार की सुबह पोस्टमॉर्टम कराया गया और फिर परिजनों को सौंप दिया गया।
श्रीवास ने बताया, "प्रजापत करीब 100 फीसद जल गये थे और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी हालत बेहद गंभीर होने के चलते उनकी मृत्यु से पूर्व उनके बयान दर्ज नहीं किये जा सके। हालांकि, हम जांच के जरिये पता लगा रहे हैं कि उन्होंने खुद को आग क्यों लगायी?"
सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर प्रजापत की थैली से मिले पर्चों के बारे में पूछे जाने पर थाना प्रभारी ने कहा, "फिलहाल केवल इन पर्चों के बूते प्रजापत के आत्मदाह की वजह के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं होगा।"
इस बीच, माकपा सूत्रों ने बताया कि प्रजापत सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में शहर के अलग-अलग स्थानों पर जारी प्रदर्शनों में लगातार शामिल हो रहे थे। माकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य कैलाश लिम्बोदिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रजापत सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर केंद्र सरकार के "अड़ियल रुख" से बेहद हताश थे। लेकिन उनकी पार्टी अपने कार्यकर्ता के आत्मदाह के कदम का कतई समर्थन नहीं करती है।
लिम्बोदिया ने दावा किया, "प्रजापत की थैली से पुलिस को जो पर्चा मिला, वह उन्होंने खुद तैयार किया था और इस पर उनके दस्तखत भी हैं। इस पर्चे में सीएए, एनआरसी और एनपीआर का देश भर में विरोध होने के बावजूद केंद्र सरकार की हठधर्मिता का उल्लेख है।" माकपा नेता ने कहा, "हम मांग करते हैं कि सरकार सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे मसलों पर जन विरोध को देखते हुए लोगों से चर्चा करे और जल्द उचित समाधान निकाले।"