संसद में मंदी पर बोल रही थीं वित्त मंत्री सीतारमण, तीन केंद्रीय मंत्री झपकी और जम्हाई ले रहे थे, जानिए कौन थे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 27, 2019 08:32 PM2019-11-27T20:32:15+5:302019-11-27T20:32:15+5:30

अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को लेकर विपक्ष द्वारा जतायी गयी चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार इसके विभिन्न क्षेत्रों के समक्ष आ रही चुनौतियों से अवगत है और वह इन समस्याओं का सकारात्मक समाधान ढूंढने के लिए प्रतिबद्ध है।

Finance Minister Sitharaman was speaking on the recession in Parliament, three Union ministers were taking naps and yawning, know who were | संसद में मंदी पर बोल रही थीं वित्त मंत्री सीतारमण, तीन केंद्रीय मंत्री झपकी और जम्हाई ले रहे थे, जानिए कौन थे

उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्रति सप्ताह इन कदमों की समीक्षा करती हैं।

Highlightsसरकार अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से अवगत, किया जा रहा सकारात्मक समाधान: निर्मला सीतारमण।वित्त मंत्री ने राज्यसभा में देश की आर्थिक स्थिति को लेकर हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही।

देश में अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। रोजगार को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है। इस बीच संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था पर बार रख रही थीं।

अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात को लेकर विपक्ष द्वारा जतायी गयी चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार इसके विभिन्न क्षेत्रों के समक्ष आ रही चुनौतियों से अवगत है और वह इन समस्याओं का सकारात्मक समाधान ढूंढने के लिए प्रतिबद्ध है।

वित्त मंत्री ने राज्यसभा में देश की आर्थिक स्थिति को लेकर हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार ने लघु एवं मझोले उद्योग क्षेत्र (एमएसएमई) और बैंकिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए 32 कदम उठाये हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब संसद में बोल रही थीं, तभी देश के केंद्रीय मंत्री इस मुद्दे पर आराम फरमा रहे थे। केंद्रीय कौशल विकास मंत्री और पूर्व उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय, केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री और मध्य प्रदेश से भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते सदन में बैठकर झपकी ले रहे थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जूनियर और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री, हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर जम्हाई ले रहे थे।

उन्होंने कहा कि वह स्वयं प्रति सप्ताह इन कदमों की समीक्षा करती हैं। उन्होंने कहा कि इन कदमों में कई के वांछित परिणाम भी आने शुरू हो गये हैं। चर्चा में विपक्ष के कई सदस्यों द्वारा नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था विशेषकर छोटे व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंचने का आरोप लगाया गया।

वित्त मंत्री ने इन आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काली अर्थव्यवस्था पर प्रहार के लिए नोटबंदी का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि हमारे देश में 85 प्रतिशत लेनदेन नकद होता था जिसके कारण अर्थव्यवस्था को औपचारिक स्वरूप देने में काफी कठिनाई थी। सीतारमण ने कहा कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों के समक्ष आ रही चुनौतियों से अवगत है और वह उनकी समस्याओं का सकारात्मक समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को औपचारिक स्वरूप देने में मदद मिली है और साथ ही डिजिटलीकरण एवं कर आधार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री जब विदेश जाते हैं तो लोग उनसे यही पूछते हैं कि आपने इतनी बड़ी आबादी वाले देश में इतनी जल्दी डिजिटलीकरण को कैसे बढ़ावा दे दिया? वित्त मंत्री उच्च सदन में अपना जवाब पूरा कर पाती इससे पहले ही उनके जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने सदन से वाक आउट कर दिया। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की ऊंची दरों के विपक्ष के आरोपों पर सीतारमण ने कहा कि इनकी दरों का फैसला केन्द्र नहीं बल्कि जीएसटी परिषद करती है।

उन्होंने कहा कि ऐसे हर फैसले में सभी राज्यों की सहमति होती है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की सहायता तथा विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए जीएसटी दरों में कटौती की गयी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल में 400 वस्तुओं की जीएसटी दर पर कटौती गयी। उन्होंने कहा कि इस साल जीएसटी के तहत छह लाख 63 हजार करोड़ रूपये का कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया है और चालू वित्त वर्ष में अक्तूबर तक तीन लाख 23 हजार करोड़ रूपये का जीएसटी कर संग्रह कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आयकर दाताओं और जीएसटी के लिए रिर्टन की समयावधि को बढ़कार इस साल 30 नवंबर तक कर दिया गया है।

वित्त मंत्री ने आवास योजना, जनधन योजना का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार की इन योजनाओं के तहत काफी काम हो चुका है। राजकोषीय घाटे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग के दूसरे शासनकाल में इस घाटे की औसत दर 5.5 प्रतिशत थी जबकि 2014-19 के दौरान राजग शासन काल में यह 3.68 प्रतिशत रही। आटोमोबाइल क्षेत्र में आयी मंदी का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसके मूल में उच्चतम न्यायालय का एक फैसला है जिसमें कहा गया है कि वाहनों के उत्सर्जन मानक को अब दो साल के भीतर बीएस-4 से बीएस-6 की श्रेणी में लाया जाये।

उन्होंने कहा कि आटो उद्योग इसके लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए शोध एवं विकास कार्यों में भारी निवेश की भी जरूरत पड़ रही है। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सभापति ने विपक्षी सदस्यों द्वारा सीतारमण के जवाब के बीच में ही सदन से वाकआउट करने का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सदस्य वाकआउट करते रहे हैं किंतु उन्हें वित्त मंत्री का पूरा जवाब सुनना चाहिए था क्योंकि यह एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है। 

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