(प्रदीप्त तापदार)
कोलकाता, 27 अक्टूबर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अर्धसैनिक बल के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि होने के बाद, पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ टकराव की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि कानूनों को ठीक से नहीं समझने की वजह से यह आशंका पैदा हुयी है।
सीमा की रक्षा करने वाले बल के महानिरीक्षक (दक्षिण बंगाल) अनुराग गर्ग ने कहा कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किए जाने से राज्य को सीमा पार अपराधों तथा घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी।
गर्ग ने किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बिना उन दावों को खारिज कर दिया कि पश्चिम बंगाल का एक-तिहाई भूभाग बीएसएफ के नियंत्रण में चला जाएगा। उन्होंने जोर दिया कि यह गलत धारणा है कि केंद्रीय बल के पास राज्य पुलिस जैसी शक्ति होगी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षाम्कार मे कहा, ‘‘कुछ तबकों में यह धारणा कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि की अधिसूचना से इसका राज्य पुलिस के साथ टकराव बढ़ेगा और यह भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ है, पूरी तरह से निराधार और शरारतपूर्ण है।’’
गर्ग ने कहा, ‘‘वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में अवैध रूप से प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए बीएसएफ द्वारा पकड़े गए सभी लोगों को जांच की खातिर और मानव तस्करी में शामिल संगठित गिरोहों का भंडाफोड़ करने के लिए पुलिस को ही सौंप दिया जाएगा, जैसा पहले किया जाता था।"
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना सिर्फ पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, पासपोर्ट अधिनियम, 1967 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 से संबंधित है। गर्ग ने कहा कि इस अधिसूचना का आशय बीएसएफ की जिम्मेदारी वाले क्षेत्र (एओआर) को बढ़ाना है ताकि यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर 50 किमी तक घुसपैठ की जांच करने के लिए पहले से मौजूद शक्तियों का प्रयोग कर सके। पहले यह सीमा 15 किलोमीटर थी।
बल के अतिरिक्त महानिदेशक वाई बी खुरानिया ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हस्तक्षेप की आशंका गैर-जरूरी है। बीएसएफ को दी गई शक्तियां बहुत सीमित हैं।" उन्होंने कहा, "अब भी,जब हम छापे मारते हैं, हम राज्य पुलिस को सूचित करते हैं और उनके साथ भी होते हैं।"
कुछ राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों ने आरोप लगाए हैं कि बीएसएफ की जिम्मेदारी के क्षेत्र में वृद्धि की अधिसूचना केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकार क्षेत्र में "पिछले दरवाजे से हस्तक्षेप" है। इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर गर्ग ने कहा कि इस तरह की आशंकाएं "पूरी तरह से निराधार हैं और शायद कानूनों को ठीक से नहीं समझने के कारण" हैं। उन्होंने कहा, "इसके बदले इससे पश्चिम बंगाल को सीमा पार अपराधों और घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी, जिनसे निपटने में उसके संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।