नई दिल्ली। कानून उल्लंघन करने के आरोप में इस साल 1807 गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और शिक्षण संस्थानों का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द करते हुए उनके विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लगाई गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
विदेशी योगदान (नियमन) कानून (एफसीआरए) के तहत जिन संस्थानों और संगठनों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है, उनमें राजस्थान विश्वविद्यालय, इलाहाबाद कृषि संस्थान, यंग मेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन, गुजरात और स्वामी विवेकानंद एजुकेशनल सोसायटी, कर्नाटक भी शामिल हैं।
इन एनजीओ ने 6 साल से नहीं दिया था वार्षिक आयकर का ब्यौरा
मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यत: बार-बार याद दिलाने के बावजूद छह साल तक वार्षिक आयकर और विदेशी धन के संबंध में खर्च का ब्यौरा जमा नहीं करने की वजह से इन संगठनों का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है।
एफसीआरए गाइडलाइन के अनुसार संगठनों को वित्त वर्ष के पूरा होने के नौ महीने के भीतर हर साल आय-व्यय ब्यौरा, रसीदों और भुगतान खाते, बही-खाते इत्यादि की स्कैन प्रतियों के साथ एक ऑनलाइन वार्षिक रिपोर्ट जमा करनी होती है। जिन संगठनों को किसी विशिष्ट वर्ष में विदेशी योगदान नहीं मिलता, उन्हें भी उस वित्त वर्ष के लिए 'निल' रिटर्न भरना होता है।
महाराष्ट्र के दो संस्थान भी शामिल : जिन संस्थानों का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है, उनमें महाराष्ट्र के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और बैप्टिस्ट क्रिश्चियन असोसिएशन शामिल हैं। इनके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोकेयर ऐंड रिसर्च, पश्चिम बंगाल, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट, तेलंगाना, रबींद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च, पश्चिम बंगाल का भी रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है।
वहीं बेंगलुरु स्थित इन्फोसिस फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन खुद इस एनजीओ के 'आग्रह' पर रद्द किया गया है। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से गृह मंत्रालय 14800 से अधिक संगठनों का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द कर चुका है जिससे उनके विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लग गई है।