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फादर एंजेल स्कूल की 11वीं की छात्रा अनुष्का चड्ढा ने कोरोना महामारी पर लिखी मार्मिक कहानी, शब्दों में बताया पूरे देश का दर्द

By दीप्ती कुमारी | Updated: August 14, 2021 16:15 IST

11 वीं कक्षा की छात्रा ने कोरोना महामारी के भयानक दौर की एक दिल को छू लेने वाली कहानी अपने शब्दों में लिखी है , जिसे पढ़कर हर कोई भावुक हो रहा है ।

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ठळक मुद्देकोरोना के कारण लोगों को मरते देखना सबसे दुखद था श्मशानों को जलाने के लिए भी जगह नहीं मिल रही थी

मुंबई: कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व तबाही झेल रहा है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। हर तरफ लोग मर रहे थे। इस स्थिति के बारे में एक 11 वीं कक्षा की छात्रा ने मार्मिक वर्णन किया है। उसने लिखा कि कैसे हमें लगा कि अब महामारी चली गई है और जीवन पटरी पर लौट रहा है लेकिन ऐसा नहीं था ।

एक बार एक समय आया,

दुनिया सामान्य हो रही थी

लेकिन 'सामान्य' शब्द गायब हो गया,

पूर्व से फैली थी चमगादड़ों की बीमारी,

घोर कष्टों का कारण बनता है,

उत्तर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्व में।

एक बार एक समय आया,

कब्रिस्तान में भर गई बीमार

लाशें, लोग छींकने, खांसने और बीमारी से डरते थे,

यही वह समय था जब किसी को कुछ खौफनाक फॉल्स फेस और प्लास्टिक का घूंघट पहनना पड़ता था।

एक बार एक समय आया,

जब हमारे उद्धारकर्ता अपना काम करते हुए मर गए,

जबकि अन्य लापरवाह हो रहे थे

और उन गिरे हुए चेहरे के बिना चल रहे थे।

जिसने दुनिया को रहने के लिए और अधिक खतरनाक बना दिया है।

एक बार एक समय आया,

दशक का अंत कब आया

और उम्मीद की किरण जगाई, उत्साह की आशा, एक नई शुरुआत की आस।

लेकिन जल्द ही आशा एक बड़े दुख में बदल गई।

पर कौन जानता था..कि

हमारी उम्मीदें निराशा में बदल जायेंगी..

एक बार एक समय आया,

जब देश दूसरी लहर की चपेट में आ गया था।

न ऑक्सीजन, न बिस्तर, न सुविधा हमारे पास, और स्थिति बहुत खराब थी।

एक बार एक समय आया,

शव परिवार को सौंपे भी नहीं गए,

व्यापक रोना, क्रोध, पश्चाताप, अवसाद, चिंता, व्यामोह और सभी नकारात्मकता कम नहीं थी।

एक बार एक समय आया,

जब अँधेरे का तूफ़ान आया और दुनिया पर छा गया, काले, विचार थे औ

र काले अवशेष थे, काले बादलों ने एक संपन्न दुनिया पर कब्जा कर लिया

वो दौर था जब कोई उम्मीद नहीं थी...

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