द कश्मीर फाइल्स पर बोले फारूक अब्दुल्ला- अगर कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए जिम्मेदार पाया गया तो कहीं भी फांसी के लिए हूं तैयार
By मनाली रस्तोगी | Published: March 22, 2022 01:22 PM2022-03-22T13:22:44+5:302022-03-22T13:26:19+5:30
निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स में कश्मीरी पंडितों के पलायन का मुद्दा दिखाया गया है। वहीं, ये फिल्म रिलीज होने के बाद से लगातार सुर्खियां बटोर रही है। इसी क्रम में अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर बयान सामने आया है।
श्रीनगर: निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। ऐसे में फिल्म को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। बता दें कि ये फिल्म जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार और घाटी से उनके दर्दनाक पलायन पर आधारित है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर वो 90 के दशक में हुई इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं तो वह देश में कहीं भी फांसी के लिए तैयार हैं।
इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में अब्दुल्ला ने कहा, "सच्चाई तब सामने आएगी जब आप एक ईमानदार जज या कमेटी को जगह देंगे। आपको पता चल जाएगा कि कौन जिम्मेदार है। अगर फारूक अब्दुल्ला जिम्मेदार हैं, तो फारूक अब्दुल्ला देश में कहीं भी फांसी के लिए तैयार हैं। मैं बात पर अमल करने के लिए तैयार हूं। परीक्षण करें लेकिन उन लोगों को दोष न दें जो जिम्मेदार नहीं हैं।"
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— IndiaToday (@IndiaToday) March 22, 2022
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं जिम्मेदार हूं। अगर लोग कड़वा सच जानना चाहते हैं, तो उन्हें उस समय के इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख या केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से बात करनी चाहिए जो उस समय केंद्रीय मंत्री थे।" अपनी बात को जारी रखते हुए फारुख अब्दुल्लाह ने कहा कि न केवल कश्मीरी पंडितों के साथ बल्कि 1990 के दशक में कश्मीर में सिखों और मुसलमानों के साथ क्या हुआ, इसकी जांच के लिए किसी तरह का एक सत्य आयोग बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "स्थिति तो ये थी कि मेरे विधायकों, छोटे कार्यकर्ताओं और मंत्रियों को पेड़ों से उनका मांस चुनना पड़ा था।" वहीं, इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को 'प्रोपेगैंडा फिल्म' भी बताया। यह एक प्रोपेगेंडा फिल्म है। इसने एक ऐसी त्रासदी को जन्म दिया है जिसने राज्य की हर आत्मा, हिंदू और मुसलमानों को समान रूप से प्रभावित किया है। मेरा दिल अभी भी त्रासदी पर रोता है। राजनीतिक दलों का एक तत्व था जो जातीय सफाई में रुचि रखता था।