उनके इस कदम से कहीं कोई तूफान न आ जाए, UCC पर बोले फारूक अब्दुल्ला- मुसलमानों का अपना शरियत कानून है...
By अनिल शर्मा | Updated: June 29, 2023 12:46 IST2023-06-29T11:59:45+5:302023-06-29T12:46:29+5:30
गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।

तस्वीरः ANI
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के सवाल पर कहा कि उनके (केंद्र) इस कदम से कहीं कोई तूफान न आ जाए। ईद-उल-अजहा के मौके पर मीडिया से बात करते हुए समान नागरिक संहिता पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आज कल यह लोग समान नागरिक संहिता की बात कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उनको इस तरफ सोचना चाहिए।
गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह देश विविधिता से भरा है जिसमें हर मजहब, जबान (भाषा) बोलने वाले लोग रहते हैं। मुसलमानों का अपना शरियत कानून है जिसपर उनको नजर रखनी चाहिए। केंद्र पर निशाना साधते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने कहा, वे इस पर सोचें कि उनके द्वारा यह कदम उठाने से कहीं कोई तूफान न आ जाए।
#WATCH | National Conference (NC) chief Farooq Abdullah speaks on Uniform Civil Code (UCC)
— ANI (@ANI) June 29, 2023
"They (Central govt) should think that the country is diverse, people of all religions live here, and Muslims have their own Shariat law. They should think about any possible storm that… pic.twitter.com/UZzNRtKuAw
इस बीच पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर उन पर कटाक्ष करते हुए प्रश्न किया कि उनका प्रस्ताव कितना ‘‘समान’’ है और क्या हिंदू, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को भोपाल में यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए कहा था कि संविधान सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष दलों पर मुसलमानों को गुमराह करने और भड़काने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था। राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने समान नागरिक संहिता पर जोर दिया... विपक्ष पर मुसलमानों को भड़काने का आरोप लगाया.. पहला सवाल, आखिर नौ साल बाद यह बात क्यों? 2024 (चुनाव के लिए)? दूसरा सवाल, आपका प्रस्ताव कितना ‘समान’ है, आदिवासी और पूर्वोत्तर सभी इसके दायरे में आते हैं? तीसरा सवाल, हर दिन आपकी पार्टी मुसलमानों को निशाना बनाती है। क्यों? अब आपको चिंता हो रही है।’’
वहीं जदयू ने इसे राजनीतिक स्टंट बताया है। जनता दल यूनाइटेड (जद यू) ने पीएम के बयान को लेकर दावा किया कि उनके बयान का अल्पसंख्यकों के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। जद-यू प्रवक्ता के सी त्यागी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य अपने सभी नागरिकों को यूसीसी देने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन यह उपबंध राज्य के नीति निर्देशक तत्व का हिस्सा है न कि मौलिक अधिकार।
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी यूसीसी के बारे में बोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की और कहा कि क्या प्रधानमंत्री पहले से बता रहे हैं कि विधि आयोग का इस मामले में क्या रुख होगा। खुर्शीद ने बुधवार को यह भी कहा कि क्या प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसे मुद्दे पर अपने झुकाव को प्रकट करना चाहिए जिससे आयोग की उद्देश्यपरक राय प्रभावित होगी।