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उम्मीद है भूमिपुत्रों की बात जरूर सुनी जाएगी, भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सीएम योगी को लिखा पत्र, यहां पढ़े लेटर

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 12, 2021 16:29 IST

भाजपा सांसद वरुण गांधी किसानों को समर्थन कर चुके हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को ‘अपना ही भाई बंधु’ करार दिया था।

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ठळक मुद्देसरकार को उनसे दोबारा बातचीत करनी चाहिए ताकि सर्वमान्य हल तक पहुंचा जा सके।बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्विट कर मोदी सरकार से किसानों का दर्द समझने की अपील की थी। 

लखनऊः भाजपा सांसद वरुण गांधी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। पत्र में तीन कृषि कानून और किसानों का जिक्र किया है। 

वरुण गांधी ने पत्र में लिखा है कि उम्मीद है कि भूमिपुत्रों की बात जरूर सुनी जाएगी। किसानों की बुनियादी समस्याओं को खत्म किया जाएगा। इससे पहले भी वरुण गांधी किसानों को समर्थन कर चुके हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को ‘अपना ही भाई बंधु’ करार दिया था। सरकार को उनसे दोबारा बातचीत करनी चाहिए ताकि सर्वमान्य हल तक पहुंचा जा सके।

उत्तर प्रदेश में किसानों को कई राहत देने की मांग करते हुए भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने रविवार को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने गन्ने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि करने, गेहूं और धान की सरकारी खरीद पर बोनस देने, प्रधानमंत्री किसान योजना की राशि दोगुनी करने और डीजल पर सब्सिडी देने की मांग की है।

उत्तर प्रदेश से तीन बार के सांसद वरुण गांधी सर्वमान्य हल के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों से दोबारा बातचीत शुरू करने का समर्थन कर चुके हैं। योगी आदित्यनाथ को लिखे दो पन्नों के पत्र में पीलीभीत से लोकसभा सदस्य ने किसानों की समस्याओं और उनकी मांगों का उल्लेख किया है। इसके साथ ही उन्होंने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्विट कर मोदी सरकार से किसानों का दर्द समझने की अपील की थी। वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा था, मुजफ्फरनगर में आज लाखों किसान धरना प्रदर्शन में जुटे हैं, वे हमारा ही खून हैं. हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से जुड़ना शुरू करने की जरूरत है, उनके दर्द समझें, उनका नजरिया देखें और जमीन तक पहुंचने के लिए उनके साथ काम करें।

वरुण गांधी ने किसानों की समस्या को लेकर योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘‘किसानों की बुनियादी समस्याओं को इंगित करता मेरा पत्र उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नाम, उम्मीद है कि भूमिपुत्रों की बात ज़रूर सुनी जाएगी।’’

पत्र में वरुण गांधी ने गन्ने का मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया है जबकि उत्तर प्रदेश में इसकी मौजूदा कीमत 315 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की मुख्य रूप से खेती होती है, जो केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का राज्य में केंद्र बना हुआ है। वरुण ने पत्र में लिखा कि किसानों को धान और गेहूं की सरकारी खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त बोनस दिया जाना चाहिए।

उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत किसानों को दी जा रही मदद दोगुनी कर 12 हजार रुपये प्रति वर्ष की जानी चाहिए और राज्य को 12 हजार रुपये में से छह हजार रुपये का योगदान अपने कोष से करना चाहिए। पीएम किसान योजना केंद्र की पहल है, जिसके तहत सभी किसानों को छह हजार रुपये सालाना न्यूनतम आय समर्थन के तौर पर दिए जाते हैं।

बिजली और डीजल की कीमतों को लेकर किसानों की चिंता को साझा करते हुए वरुण गांधी ने पत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देने और बिजली की दरों में तत्काल प्रभाव से कटौती करने का अनुरोध किया। उल्लेखनीय है कि इस महीने की पांच तारीख को बड़ी संख्या में किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मुजफ्फरनगर में बुलाए गए महापंचायत में शामिल हुए थे। उस समय भी वरुण गांधी से कहा था कि ‘‘वे अपने लोग हैं’ और सरकार को सर्वमान्य हल के लिए उनसे दोबारा बातचीत शुरू करनी चाहिए।

वरुण गांधी ने महापंचायत में जुटी भीड़ का वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा था, ‘‘आज लाखों किसान विरोध के लिए मुजफ्फरनगर में जमा हुए हैं। वे हमारे अपने लोग हैं। हमें सम्मानजनक रूप से उनके साथ दोबारा बातचीत करने की जरूरत है। उनकी पीड़ा और विचारों को समझते हुए सर्वमान्य हल के लिए कार्य करने की जरूरत है।’’

यह महापंचायत उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले अहम विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित की गई थी। किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पिछले साल नवंबर से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इस मामले पर प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है।

कृषि सुधारों के उद्देश्य से लाए गए कानूनों पर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने के नए विकल्प मिलेंगे। सरकार ने उन आशंकाओं को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि इन कानूनों का उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली और मंडी व्यवस्था को समाप्त करना है।

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