किसानों ने ‘चक्का जाम’ के दौरान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में मुख्य राजमार्गों को किया बाधित
By भाषा | Updated: February 7, 2021 00:01 IST2021-02-07T00:01:13+5:302021-02-07T00:01:13+5:30

किसानों ने ‘चक्का जाम’ के दौरान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में मुख्य राजमार्गों को किया बाधित
नयी दिल्ली/चंडीगढ़, छह फरवरी केंद्र के नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान संगठनों के तीन घंटे के ‘चक्का जाम’ के आह्वान पर शनिवार को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कई प्रमुख सड़कों को प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘ट्रैक्टर-ट्रालियों’ से अवरूद्ध कर दिया। वहीं, अन्य राज्यों में भी छिटपुट प्रदर्शन हुए।
संयुक्त किसान मोर्च (एसकेएम) ने दावा किया 'चक्का जाम' को देशव्यापी समर्थन मिला, जिसने एक बार फिर "साबित" कर दिया है कि देशभर के किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं।
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र को एक नया प्रस्ताव लेकर आना चाहिए क्योंकि विवादास्पद कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है।
इस बीच, किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर उनका (किसानों का) प्रदर्शन ‘‘दो अक्टूबर तक’’ जारी रहेगा और प्रदर्शनकारी किसान तभी घर लौटेंगे, जब केंद्र सरकार इन विवादास्पद कानूनों को रद्द कर देगी और ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला एक नया कानून’’ बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर (विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने पर) कोई समझौता नहीं होगा।’’ साथ ही, उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरे देश के लिए है, ना कि एक राज्य के लिए है।
शनिवार के प्रदर्शनों के दौरान देश के किसी भी हिस्से से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। हालांकि, कई राज्यों में दर्जनों लोगों को हिरासत में ले लिया गया। दिल्ली में करीब 60 प्रदर्शनकारियों को शहीदी पार्क से हिरासत में लिया गया।
गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे।
महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी पुलिस ने कुछ देर के लिए प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
कांग्रेस और वाम दलों ने चक्का जाम के समर्थन में कुछ राज्यों में प्रदर्शन किये।
शनिवार के चक्का जाम आंदोलन (दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक) से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को बाहर रखा गया था। हालांकि, सरकार ने दिल्ली की सीमाओं--सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर--पर प्रदर्शन स्थलों तथा उससे लगे इलाकों में 24 घंटे के लिए शनिवार रात तक इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दीं। इसके अलावा, दिल्ली मेट्रो के 10 प्रमुख स्टेशनों पर भी दिन में कुछ घंटों के लिए प्रवेश एवं निकास की सुविधाएं बंद कर दी गईं।
सिंघू बॉर्डर पर पहले की तुलना में कहीं अधिक भीड़ नजर आई क्योंकि और अधिक संख्या में ट्रैक्टर एवं किसान प्रदर्शन स्थलों पर पहुंच रहे थे। वहीं, पुलिस एहतियाती उपाय के तहत ड्रोन कैमरे से निगरानी कर रही थी, बहुस्तरीय बैरिकेड लगाये गये थे, सड़कों पर कीलें लगाई गई थीं और कंटीले तार के बाड़ लगाये गये थे।
दिल्ली में लाल किला और आईटीओ सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर दंगा रोधी पुलिस सहित सुरक्षा बल तैनात किये गये थे।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने सोशल मीडिया पर किये जा रहे पोस्ट पर भी निगरानी रखी।
दिल्ली से लगे सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चे के वरिष्ठ नेता दर्शनपाल ने कहा, ‘‘हम बातचीत के लिए तैयार हैं। गेंद सरकार के पाले में है। हमने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि पिछला प्रस्ताव (कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने) हमें स्वीकार्य नहीं है। अब उन्हें एक नये प्रस्ताव के साथ आना चाहिए।’’
हालांकि, दर्शन पाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं करने का टिकैत का फैसला जल्दबाज़ी में लिया गया था और अच्छा होता कि वह पहले संयुक्त किसान मोर्चा के साथ अपनी योजना पर चर्चा करते।
टिकैत (51) ने गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर कहा, ‘‘यह आंदोलन एक साल तक जारी रहेगा। यह सरकार के लिए एक खुला प्रस्ताव है। एमएसपी पर एक कानून बनाना होगा, इसके बिना हम घर वापस नहीं जाएंगे। तीनों कानून वापस लेने होंगे। इन दोनों मांगों को पूरा करना होगा और उस पर कोई समझौता नहीं होगा। इससे बड़ा आंदोलन नहीं हो सकता। हम विरोध- प्रदर्शन करना नहीं छोड़ सकते।’’
पंजाब और हरियाणा में किसानों ने सड़कों के बीचों बीच अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़ी कर दीं और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
प्रदर्शनकरी किसानों ने चक्का जाम के तहत चंडीगढ़-जीरकपुर, अमृतसर-पठानकोट, तरन तारन-कपूरथला, फिरोजपुर-फाजिल्का, मुक्तसर-कोटकपुरा, बठिंडा-चंडीगढ़, लुधियाना-जालंधर, पंचकूला-पिंजौर, पटियाला-कैथल, जींद-करनाल, करनाल-कैथल, अंबाला-चंडीगढ़, अंबाला-हिसार और मानसा-सिरसा समेत कई राजमार्गों को अवरूद्ध कर दिया।
कई स्थानों पर प्रदर्शनों में महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या में भागीदारी रही।
केएमपी एक्सप्रेसवे पर स्पीकरों पर बजते गाने, ट्रकों और ट्रैक्टरों पर लगे तिरंगे और इंतजार में खड़े राहगीर नजर आए।
सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को बिस्किट और फल वितरित किए गए। वाहन चालकों को नम्रतापूर्वक प्रदर्शन के बारे में बताया गया और उनसे लौट जाने का अनुरोध किया गया।
राजस्थान में किसानों ने कई जगहों पर 'चक्का जाम' किया। उन्होंने राज्य के गंगानगर, हनुमानगढ़, धौलपुर व झालावाड़ सहित कई जगहों पर सड़कें अवरूद्ध कर दीं।
उत्तर प्रदेश में किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को कहा था कि किसान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर अन्य स्थानों पर शनिवार को दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक राष्ट्रीय राजमार्गों एवं स्टेट हाईवे को तीन घंटे के लिए बाधित करेंगे।
कई किसान संगठनों और कांग्रेस ने मुंबई में प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र के कराड और कोल्हापुर शहरों में ‘रास्ता रोको’ प्रदर्शन किये गये।
राज्य के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक कराड में कोल्हापुर नाका पर दोपहर के समय व्यस्त सड़क पर प्रदर्शन करने के चलते पुलिस ने कम से कम 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया, जिनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी सत्वशीला चव्हाण भी शामिल रहीं। हालांकि, बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
वहीं, पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता राजू शेट्टी के नेतृत्व में नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।
एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि शनिवार दोपहर को दाभोलकर चौक पर यातायात जाम करने के चलते शेट्टी और अन्य कई किसानों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। राज्य के लातूर में भी प्रदर्शन किये गये।
प्रदर्शनकारियों ने महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी सड़कें अवरूद्ध कीं।
बिहार में किसान संगठनों ने राजद सहित विपक्षी दलों के समर्थन से अपराह्न 2 से 3 बजे तक एक घंटे के लिए चक्का जाम किया।
बिहार के विपक्षी दलों राजद, कांग्रेस सहित वामपंथी दलों ने कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान संगठनों के चक्का जाम करने के फैसले को अपना समर्थन दिया था।
तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में किसानों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने 'रास्ता रोको' आंदोलन का आयोजन किया।
कांग्रेस और वाम दल के कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न राजमार्गों पर धरना दिया।
कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में शनिवार को किसानों ने राजमार्गों को जाम कर दिया।
कुरुबुरू शांताकुमार के नेतृत्व में विभिन्न किसान संगठनों के आह्वान पर किसान राज्य में बेंगलुरु आने जाने वाले राजमार्गों पर उमड़ पड़े और उन्हें जाम कर दिया।
बेंगलुरु, मैसूरू, कोलार, कोप्पल, बागलकोट, तुमकुरु दावणगेरे, हासन, मेंगलुरु, हावेरी, शिवमोगा, चिकबल्लापुर और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया गया।
बेंगलुरु समेत राज्य के कुछ हिस्सों मे प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तारियां दीं।
प्रदर्शनों की निंदा करते हुए केंद्रीय रसासयन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि किसानों के आरोप गलत हैं और नरेंद्र मोदी नीत सरकार ने कृषि संकट एवं किसानों की आत्महत्या के समाधान के लिए स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू की हैं।
चेन्नई और तमिलनाडु के अन्य हिस्सों मे भी प्रदर्शन हुए।
तमिलनाडु ऑल फार्मर्स एसोसिएशन की समन्वय समिति के प्रमुख पी आर पांडियन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह किसानों के लिए न्याय की मांग को लेकर हो रहे अखिल भारतीय आंदोलन का हिस्सा है। यह किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए या आम आदमी को असुविधा पहुंचाने के लिए नहीं है। ’’
केरल के किसानों ने भी केंद्र के नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राज्य में प्रदर्शन किया और राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का समर्थन किया।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य एवं ऑल इंडिया किसान सभा (एआईएएस) के उपाध्यक्ष एस रामचंद्र पिल्लई ने यहां कहा कि सभी किसान एकजुट हो गए हैं क्योंकि तीन नए कृषि कानून उनके अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान संगठनों की ओर से आहूत ‘चक्का जाम’ का समर्थन करते हुए शनिवार को कहा कि अन्नदाताओं का सत्याग्रह देश हित में है और तीनों कृषि कानून राष्ट्र के लिए घातक हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ अन्नदाता का शांतिपूर्ण सत्याग्रह देश हित में है - ये तीन क़ानून सिर्फ़ किसान-मज़दूर के लिए ही नहीं, जनता व देश के लिए भी घातक हैं। पूर्ण समर्थन!’’
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर बहुस्तरीय बैरीकेडिंग की एक तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट करते हुए सरकार की आलोचना की।
उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘आप डर की दीवार के जरिये हमें क्यों डरा रहे हैं?’’
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख जी ए मीर के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने किसान संगठनों के राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के आह्ववान का समर्थन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया और जम्मू-पठानकोट बाईपास रोड को जाम किया।
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