उत्तर प्रदेशः गांव, खेती और किसानी, हर दिन मेहनत, देखिए किसानों की दिनचर्या

By शैलेन्द्र पाण्डेय | Published: August 2, 2021 04:04 PM2021-08-02T16:04:03+5:302021-08-02T16:10:19+5:30

दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘किसान संसद’ जारी है। किसान कई माह से आंदोलन कर रहे हैं। तीन कृषि कानून को लेकर सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं।

Farmer Life village Importance society woman grows crops using agriculture uttar pradesh | उत्तर प्रदेशः गांव, खेती और किसानी, हर दिन मेहनत, देखिए किसानों की दिनचर्या

किसान सुबह से उठकर शाम तक खेत में काम करता है।

Highlightsनए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी।सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानून लाए गए थे।किसान की पत्नी और बच्चों को उसकी हर संभव गतिविधि में मदद मिलती है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर बड़े पैमाने पर लोग खेती किसानी में लगे हुए हैं। किसान दिन-रात मेहनत कर फसलों की खेती में लगे रहते हैं। गर्मी और बारिश हर मौसम में काम करते हैं। किसान कृषि का उपयोग करके फसल उगाता है।

किसी मौसम का डर नहीं है। लेकिन उन्हें केवल इस बात का डर है कि उनकी फसल अच्छी और शानदार हो। वे सूरज से पहले उठ जाते थे और सूरज ढलने के बाद सो जाते हैं। वे असली सोना यानी फसल उगाते हैं। माता-पिता की तरह, वे दिन के साथ-साथ रात में भी फसलों की निगरानी करते हैं।

वे भटक रहे मवेशियों से फसलों के संरक्षक बन जाते हैं। खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। खेती-किसानी में पुरुष के साथ महिलाएं भी हाथ बंटाती हैं। इस बीच बच्चे मौज मस्ती करते हैं। भारत में जनसंख्या का बड़ा भाग खेती में जीवन यापन करता है। किसान की पत्नी और बच्चों को उसकी हर संभव गतिविधि में मदद मिलती है। बैलगाड़ी से फसलों को लाते या ले जाते हैं।

दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले कई माह से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये कृषि कानून हैं--किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून।

 फसल रखवाली के लिए मचान बनाती किसान की पत्नी। रात में कोई न कोई इस पर सोता है।

पुल न होने के कारण चाचर बांध कर पुल पार करते गांव के लोग। देश के कई जगह आम बात है। किसान मेहनत कर इसे बनाता है। ताकी इस पार से उस पार जाने में दिक्कत न हो। 

सूर्य की पहली किरण। सांड जाते हुए। गांव में यह आम बात है। यह मौसम अपने आप में मनोहारी है।

साइकिल से खेत में काम करने जाती महिला। मां के साथ बैठा बच्चा मस्ती करते हुए। महिला भी कदम से कदम मिला कर खड़ी रहती है।

गांव के बुजर्ग लोग। खाट पर आराम फरमाते हुए। फुसरत में बात करते हुए। खेती -किसानी पर चर्चा करते हुए।

पशु से रक्षा करने के लिए पुआल से बना स्टेच्यू लगाते हुए। पशु इसे देखकर भागते हैं। फसल बर्बाद होने से बच जाता है।

गांव के लोग शौचालय का इज्जत घर का नाम देते है। सरकार ने हर घर से इसे अनिवार्य कर दिया है। 

मेढ़ के माध्यम से खेत का बंटवारा। किसान लोग पानी संचय में भी इसका प्रयोग करते हैं। खेत में फसल रोपने के बाद काम करता किसान।

खेत में पटवन के लिए पाइप ले जाते हुए। नहर, कुआं, नदी से खेत में पानी लाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। 

मस्ती के मूड में बच्चे। बच्चे के लिए यह खेल का माध्यम है। लेकिन गांव के लोग पशु आहार इससे काटते हैं। इसे पशु चारा मशीन भी कहा जाता है।

गांव के सम्मानित व्यक्ति। कभी-कभार खेत पर बैठकर निगरानी करते रहते हैं। खेत में क्या काम चल रहा है।

पशु के लिए चाारा काटते हुए। किसान भाई खेती के अलावा पशुपालन, मछ्ली पालन और कुक्कट पालन करते है। ताकि आमदनी में बढ़ोतरी हो।

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