नासिक के अस्पताल में आंखों में आंसू लिए जवाब मांग रहे हैं परिजन
By भाषा | Published: April 21, 2021 08:50 PM2021-04-21T20:50:41+5:302021-04-21T20:50:41+5:30
नासिक (महाराष्ट्र), 21 अप्रैल शहर के जाकिर हुसैन निगम अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने के बाद अपने परिजनों को खोने वाले लोग आंखों में आंसू और दिल में गुस्सा लिए हुए मातम मना रहे हैं।
इस दुखद घटना में जान गंवाने वाले कोविड-19 के 22 मरीजों में से कुछ की हालत सुधर रही थी और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाने वाली थी। यह जानकारी उनके रिश्तेदारों ने मीडिया को दी।
भंडारण टैंक में लीकेज के कारण ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा की खबर फैलते ही परिवार के सदस्य उस वार्ड की तरफ भागे जहां कोविड-19 के मरीजों का वेंटिलेटर पर इलाज चल रहा था।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मरीजों की हालत गंभीर होने की घटना हृदय विदारक थी और ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा के कारण चिकित्सक एवं नर्स कुछ नहीं कर सके।
42 वर्षीय प्रमोद वालुकर के भाई अपने आंसू नहीं छिपा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके भाई को दो दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी क्योंकि उनकी हालत में सुधार आ रहा था। आज मैं जब उनके लिए टिफिन लेकर आया तो उन्होंने कहा कि वह बाद में खा लेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बातचीत के तुरंत बाद अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई और दो घंटे के अंदर मेरे भाई की जान चली गई।’’
एक अन्य मृतक के रिश्तेदार ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन का रवैया काफी उदासीन था और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
घटना में लीला शेलार (60) की मौत हो गई। उनकी बेटी ने कहा कि उनकी मां का इलाज ठीक चल रहा था और वह बच जातीं।
एक अन्य महिला की मां की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि उनकी मां की हालत सुधर रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई और उनकी मौत हो गई।’’
एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘मेरी दादी मां का निधन मेरी आंखों के सामने हो गया...इसके लिए अस्पताल प्रबंधन जिम्मेदार है।’’
एक रिश्तेदार ने दावा किया कि करीब दो घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई और अगर अस्पताल ने ऑक्सीजन के कुछ सिलेंडर रखे होते तो लोगों का जीवन बचाया जा सकता था।
एक महिला ने कहा कि उनकी मां को दो दिनों तक किसी अस्पताल में बिस्तर नहीं मिला और जब बिस्तर मिला तो ऑक्सीजन के अभाव में उनकी जान चली गई।
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