जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजनों ने कहा- अफसोस से काम नहीं चलेगा, ब्रिटेन माफी मांगे

By भाषा | Published: April 12, 2019 10:50 PM2019-04-12T22:50:47+5:302019-04-12T22:50:47+5:30

पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन हुआ था। जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के समर्थन में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए जुटी भीड़ पर जनरल आर डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए थे।

Families of martyrs of Jallianwala Bagh said - sorry not to work, UK should apologize | जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजनों ने कहा- अफसोस से काम नहीं चलेगा, ब्रिटेन माफी मांगे

जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजनों ने कहा- अफसोस से काम नहीं चलेगा, ब्रिटेन माफी मांगे

Highlights जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन हुआ था।प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरूआत में उन्होंने अपने बयान में इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है।

अमृतसर, 12 अप्रैलपंजाब के जलियांवाला बाग नरसंहार के कुछ शहीदों के वंशजों ने ब्रिटेन से इसके लिए माफी मांगने की मांग करते हुए कहा है कि केवल अफसोस जताने से काम नहीं चलेगा । पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन हुआ था। जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के समर्थन में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए जुटी भीड़ पर जनरल आर डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए थे।

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी से पहले बुधवार को इसे ब्रिटिश भारतीय इतिहास में ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी। हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरूआत में उन्होंने अपने बयान में इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है।

घटना की कहानी सुनती हुई बड़ी होने वाली 86 वर्षीय कृष्णा चौहान ने बताया, ‘‘मेरे मामाजी मेला राम इस नरसंहार में 18 साल की उम्र में शहीद हो गए थे ।’’ उन्होंने प्रेट्र को बताया, ‘‘जब सैनिकों ने शांतिपूर्ण बैठक पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी तो हर व्यक्ति दहशत में आ गया। लोग बिना यह जाने समझे कि किधर जायें, इधर-उधर भागने लगे। यह एक साफ मैदान था, और निकलने का एकमात्र रास्ता था जो एक संकरी गली थी। इसका परिणाम यह हुआ कि वहां भगदड़ मच गया और कई लोग एक दूसरे पर गिरे तथा कुछ मैदान में स्थित कुएं में कूद गए।’’

कृष्णा ने बताया कि उनके मामा भी उनलोगों में शामिल थे जो कुएं में कूद गए । उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें शरीर में गोली लगी थी, मुझे बताया गया था। कुछ स्वतंत्रता सेनानी जो भीड़ को संबोधित कर रहे थे वह भी मृत पाये गए थे।’’ महेश बहल (73) के दादा लाला हरि राम भी इस नरसंहार में शहीद हुए थे। बहल ने कहा कि ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार पर माफी नहीं मांगी है । दूसरी ओर पंजाबी एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने इस नरसंहार के लिए ब्रिटिश सरकार को माफी मांगने को कहा है।

Web Title: Families of martyrs of Jallianwala Bagh said - sorry not to work, UK should apologize

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