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ABVP ने डिग्री में फंसे अंकिव बैसोया को किया सस्पेंड, पोल खुलने के डर से DUSU अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

By जनार्दन पाण्डेय | Updated: November 16, 2018 09:22 IST

इसी साल 13 सितंबर को आए चुनाव परिणामों में एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अंकिव बसोया ने एक कड़ी टक्कर में कांग्रेस के यूथ विंग भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के उम्मीदवार सन्नी छिल्लर को हराया था। लेकिन अब एनएसयूआई ने एक बार फिर डूसू चुनाव कराने की मांग कर रही है।

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दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बैसोया ने फर्जी डिग्री मामले में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले उन्हें एबीवीपी से उन्हें निलंब‌ित किए जाने की खबरें आई थीं। इससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को करारा झटका लगा है।

इस विवाद से डीयू में पैर जमा चुकी एबीवीपी की छवि को नुकसान हुआ है। हालांकि एबीवीपी ने अध्यक्ष की मार्कशीट फर्जी होने से इंकार अभी इंकार कर रही है। हालांकि अभी भी एबीवीपी ने अंकिव के निलंबन के कारणों का खुलासा नहीं किया है। साथ ही एबीवीपी ने कहा है कि विरोधी कई तरह की अफवाह फैला रहे हैं। ऐसे में अंकिव को इस्तीफा देना ही बेहतर कदम होगा।

उल्लेखनीय है इसी साल 13 सितंबर को आए चुनाव परिणामों में एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अंकिव बसोया ने एक कड़ी टक्कर में कांग्रेस के यूथ विंग भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के उम्मीदवार सन्नी छिल्लर को हराया था। लेकिन अब एनएसयूआई ने एक बार फिर डूसू चुनाव कराने की मांग कर रही है।

बता दें कि फर्जी डिग्री का मामला एनएसयूआई ने ही उठाया था। छात्र विंग ने दावा किया था कि उनके संगठन के तमिलनाडु के छात्रों ने थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी से अंकिव बैसोया की मार्कशीट और प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में थ‌िरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने एक कागजात उपलब्‍ध कराया है। जिसमें विवि ने कहा है कि जिस मार्कशीट की जानकारी मांगी गई वह एक फर्जी मार्कशीट है। एनएयूआई का दावा है कि अंकिव ने गलत मार्कशीट देकर डीयू में एडमिशन ले लिया था।

लेकिन अंकिव बैसोया ने इसका खंडन किया था। उन्होंने टाइम्स नाऊ को दिए गए एक बयान में कहा था, 'मेरा स्नातक वास्तविक है। मैं उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा।' उन्होंने यह भी कहा, 'ये लोग जानबूझकर विवाद खड़े कर रहे हैं। पहले इन्होंने ईवीएम पर विवाद खड़ा किया, लेकिन जब हार गए तो अब बेबुनियाद मुद्दे को उठा रहे हैं।' हालांकि अब एबीवीपी की सहाल पर उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया है।

उल्लेखनीय है कि डीयू में एडमिशन मेरिट के आधार पर होता है। डीयू में एडमिशन के‌ लिए हाई स्कोर होना जरूरी होता है। अन्यथा डीयू में एडिशन मिलना संभव नहीं हो पाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र विंग एबीवीपी ने इस बार अध्यक्ष पद के लिए गुर्जर समुदाय से आने वाले अंकिव बैसोया को टिकट दिया था और उन्होंने जीत भी दर्ज की थी। लेकिन अब उनकी मार्कशीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।

इससे पहले 13 सितंबर को आए डूसू चुनाव परिणामों में चार प्रमुख पदों में एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर अंकिव बैसोया, उपाध्यक्ष पद पर शक्ति सिंह और संयुक्त सचिव के पद पर ज्योति चौधरी के माध्यम से तीन महत्वपूर्ण पदों पर जीत दर्ज की थी। जबकि एनएसयूआई को बस सचिव पद आकाश चौधरी से संतोष करना पड़ा था।

टॅग्स :दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावएबीवीपीनेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई)
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