हेट स्पीच को बढ़ावा देने के आरोप के बाद, फेसबुक पर हेट स्पीच की जांच रिपोर्ट को दबाने का आरोप
By विशाल कुमार | Published: November 13, 2021 08:44 AM2021-11-13T08:44:48+5:302021-11-13T08:47:34+5:30
मानवाधिकार समूह का कहना है कि फेसबुक की मानवाधिकार टीम कथित तौर पर मसौदा रिपोर्ट को सीमित करने और पहले से ही एक साल से अधिक का समय ले चुकी प्रक्रिया में देरी का प्रयास कर रहा है.
नई दिल्ली:द वाल स्ट्रीट जर्नल ने शुक्रवार को एक मानवाधिकार समूह के हवाले से कहा कि भारत में अपने प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच की जांच करने के लिए नियुक्त एक आयोग की स्वतंत्र रिपोर्ट को फेसबुक दबाने की कोशिश कर रहा है.
मानवाधिकार समूह का कहना है कि फेसबुक की मानवाधिकार टीम कथित तौर पर मसौदा रिपोर्ट को सीमित करने और पहले से ही एक साल से अधिक का समय ले चुकी प्रक्रिया में देरी का प्रयास कर रहा है. फेसबुक पहले से ही दुनियाभर में जांच और निगरानी का सामना कर रही है.
स्वतंत्र मानवाधिकार समूहों के अनुसार, उन्होंने एक अमेरिकी कानूनी फर्म को व्यापक जानकारी प्रदान की जिसे फेसबुक ने रिपोर्ट करने के लिए 2020 के मध्य में नियुक्त किया था.
समूहों का कहना है कि उन्होंने भड़काऊ सामग्री के सैकड़ों उदाहरण और सुझाव दिया कि फेसबुक भारत में अपनी सेवाओं को किस तरह बेहतर बना सकता है.
इंडिया सिविल वाच इंटरनेशनल के रतिक असोकन ने कहा कि वे इसे खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं.
हालांकि, फेसबुक प्रवक्ता का कहना है कि इस तरह के जटिल कामों के लिए समय चाहिए होता है और इन्हें हमेशा समय पर पूरा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्वतंत्र आंकलनकर्ता फोले होग भारत का अपना आंकलन पूरा कर लेंगे.
पिछले महीने ही फेसबुक के आंतरिक दस्तावेजों के हवाले से व्हिसिल ब्लोअर फ्रांसेस ह्यूगेन ने बताया था कि फेसबुक भारत में भ्रामक सूचनाओं, भड़काऊ सामग्री, हेट स्पीच को बढ़ावा दे रहा है और सब कुछ पता होते हुए भी इस नजरअंदाज कर रहा है.
फेसबुक पर भारत में सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में भेदभाव करने का भी आरोप लगता रहा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अगस्त 2020 में दावा किया था कि मंच की तत्कालीन भारत नीति प्रमुख अंखी दास ने भाजपा नेताओं के घृणास्पद पोस्टों को हटाने के विचार का विरोध करते हुए चेतावनी दी थी कि इससे उनके व्यावसायिक हितों में बाधा आ सकती है.