ताप संयंत्रों के लिए अंतिम समय-सीमा बढ़ाना प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस देने जैसा : सीएसई
By भाषा | Updated: April 7, 2021 22:38 IST2021-04-07T22:38:53+5:302021-04-07T22:38:53+5:30

ताप संयंत्रों के लिए अंतिम समय-सीमा बढ़ाना प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस देने जैसा : सीएसई
नई दिल्ली, सात अप्रैल सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरन्मेंट (सीएसई) ने बुधवार को कहा कि नये उत्सर्जन नियमों के अनुपालन के संबंध में ताप ऊर्जा संयंत्रों (टीपीपी) के लिए अंतिम तिथि बढ़ाने का पर्यावरण मंत्रालय का फैसला “उन्हें अनिश्चितकाल तक प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस दे देगा।”
इसने कहा कि तापीय संयंत्रों से प्रदूषकों को सीमित करने के नियमों की घोषणा 2015 में की गई थी और इन्हें 2017 तक अमल में लाना था। लेकिन उद्योग इसके क्रियान्वयन को 2022 तक टालने में कामयाब रहे।
हरित थिंक टैंक ने एक बयान में कहा, “2021 आ गया है : अंतिम समय-सीमा आने में कुछ ही महीने बचे हैं लेकिन महज एक तिहाई संयंत्रों ने ही नियमों के अनुपालन के लिए कोई गंभीर कदम उठाए हैं।”
एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक, एक अप्रैल को, मंत्रालय ने टीपीपी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 10 किलोमीटर के दायरे में और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में ऐसे संयंत्रों को 2022 के अंत तक नये उत्सर्जन नियमों के अनुपालन की अनुमति दी थी।
अधिसूचना के मुताबिक, सबसे अधिक प्रदूषित शहरों और इन शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले संयंत्रों को 31 दिसंबर, 2023 तक जबकि शेष इलाकों में कोयला से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों को नये मानकों पर 31 दिसंबर, 2024 तक अमल करना है।
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