एक्सक्लूसिव: पीएम मोदी हो सकते हैं राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख! जनवरी में बनने वाले ट्रस्ट में इन लोगों को किया जा सकता है शामिल
By हरीश गुप्ता | Published: December 19, 2019 08:09 AM2019-12-19T08:09:38+5:302019-12-19T08:09:38+5:30
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को भी शामिल करना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जनवरी में बनने जा रहे राम मंदिर ट्रस्ट की कमान थाम सकते हैं. अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन हिंदू कैलेंडर में शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने जाने वाले 'खरमास' के 13 जनवरी को समाप्त होने के बाद किया जाएगा.
नॉर्थ ब्लॉक से मिल रही खबरों पर यकीन किया जाए तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों राम मंदिर ट्रस्ट को अंतिम रुप देने में जुटे हैं. वह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ही इस ट्रस्ट के अध्यक्ष बनें. शाह इन दिनों अयोध्या मसले से जुड़े लोगों से बातचीत के अलावा देश के अन्य मंदिर ट्रस्टों का भी अध्ययन कर रहे हैं.
इन ट्रस्टों का अध्ययन
देश के प्रमुख मंदिरों सोमनाथ, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम, श्री माता वैष्णो देवी मंदिर और श्री जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन ट्रस्ट के ही हाथों में है. सोमनाथ मंदिर को छोड़कर बाकी के मंदिर राज्य सरकारों के अधीनस्थ हैं. सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में राज्य सरकार के चार और केंद्र सरकार के चार प्रतिनिधियों का समावेश है.
उल्लेखनीय है कि मोदी और शाह दोनों ही सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में राज्य सरकार के प्रतिनिधि हैं. ट्रस्ट की अध्यक्षता केशुभाई पटेल के हाथों में है. सोमनाथ मंदिर की तुलना में अन्य मंदिरों के ट्रस्ट में सदस्यों की संख्या ज्यादा है. मोदी लाइफ ट्रस्टी सरकार में ऐसी सोच उभरकर सामने आ रही है कि राम मंदिर ट्रस्ट केंद्र के ही अधीन होना चाहिए और नरेंद्र मोदी उसमें लाइफ ट्रस्टी होने चाहिए, क्योंकि उनके ही नेतृत्व में 2024 तक गगनचुंबी राम मंदिर साकार होगा. केंद्र को किसी अन्य संगठन या उत्तरप्रदेश सरकार तक को इसमें हिस्सेदारी नहीं देनी चाहिए.
ये भी शामिल होंगे!
ट्रस्ट में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संघ व विहिप के मनोनीत सदस्यों, के. पारासरन (जिन्होंने उच्चतम न्यायालय में राम मंदिर का मामला लड़ा) और अन्य को शामिल किया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को भी शामिल करना होगा.
इनका पक्का नहीं
यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि ट्रस्ट में लालकृष्ण आडवाणी या डॉ. मुरली मनोहर जोशी को शामिल किया जाएगा या नहीं. भाजपा से नाता तोड़ चुकी शिवसेना के प्रतिनिधित्व का मुद्दा भी स्पष्ट नहीं है. तीन माह का वक्त उच्चतम न्यायालय ने नवंबर में ही सरकार को मंदिर ट्रस्ट के गठन के लिए तीन माह का वक्त दिया था. न्यायालय ने मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के कामकाज के तौर-तरीकों के निर्धारण का भी अधिकार केंद्र सरकार को ही दिया था.