आबकारी नीति घोटालाः 26 फरवरी को हाजिर हो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सीबीआई ने नोटिस जारी किया, जानें आखिर क्या है पूरा मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 20, 2023 09:39 PM2023-02-20T21:39:57+5:302023-02-20T21:41:01+5:30
Excise policy scam: दिल्ली सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने बजट तैयारी कवायद का हवाला देते हुए पूछताछ टालने और फरवरी के अंतिम सप्ताह के दौरान की तारीख देने का आग्रह किया था।
नई दिल्लीः केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति घोटाला मामले में पूछताछ को लेकर 26 फरवरी को पेश होने के लिए एक नया नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि नोटिस सिसोदिया के अनुरोध पर जारी किया गया क्योंकि उन्होंने 19 फरवरी को अपनी पूर्व निर्धारित पूछताछ को टालने का आग्रह किया था। दिल्ली सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे सिसोदिया ने बजट तैयारी कवायद का हवाला देते हुए पूछताछ टालने और फरवरी के अंतिम सप्ताह के दौरान की तारीख देने का आग्रह किया था।
आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सिसोदिया ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें 26 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है और वह जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे। सीबीआई ने पिछले साल 25 नवंबर को सात लोगों के खिलाफ अपना पहला आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें सिसोदिया को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि धन के लेन-देन और शराब व्यापारियों, ‘आप’ नेताओं और बिचौलियों के बीच संबंधों की आगे की जांच में सीबीआई ने विस्तृत सामग्री एकत्र की है, जिस पर उसे सिसोदिया से स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। सिसोदिया प्राथमिकी में मुख्य आरोपी हैं। सीबीआई ने मामले में सिसोदिया और प्राथमिकी में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच जारी रखी है।
आरोपपत्र दाखिल किए जाने के तीन महीने बाद, अधिकारियों ने कहा कि उन्हें बैठकों, संदेशों के आदान-प्रदान और लेन-देन का विवरण मिला है, जिस पर उपमुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। सीबीआई के पास सिसोदिया के कथित ‘करीबी सहयोगी’ दिनेश अरोड़ा का इकबालिया बयान भी है।
जिनके बारे में समझा जाता है कि उन्होंने कुछ शराब व्यापारियों और हैदराबाद की ‘‘साउथ लॉबी’’ के पक्ष में आबकारी नीति को कथित रूप से बदल दिया था। यह आरोप लगाया गया कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने में दिल्ली सरकार की नीति में कुछ डीलर की तरफदारी की गई जिन्होंने इसके लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी। आम आदमी पार्टी ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया था।