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पता करें कि क्या श्री नारायणगुरु मुक्त विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा के लिए यूजीसी से मंजूरी मिली है, तो किन पाठ्यक्रमों में, केरल उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा

By भाषा | Updated: August 17, 2022 13:59 IST

उच्च शिक्षा सचिव को उच्च न्यायालय का निर्देश नौ जून के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली छात्रों की कुछ याचिकाओं पर आया है, जिसमें मुक्त विश्वविद्यालय को छोड़कर राज्य के अन्य सभी विश्वविद्यालयों को डिजिटल माध्यम से दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम संचालित करने से रोका गया था।

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ठळक मुद्देछात्र केरल के अन्य विश्वविद्यालयों में संचालित दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में दाखिला लेने की अनुमति चाहते थे।सरकार के नौ जून के आदेश के कारण अन्य विश्वविद्यालयों पर इस तरह के पाठ्यक्रम चलाने पर रोक है।यूजीसी ने अदालत को बताया था कि इस साल भी उसने मुक्त विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी है।

कोच्चिः केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से यह जांच करने को कहा है कि क्या श्री नारायणगुरु मुक्त विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता मिली है और यदि हां, तो किन पाठ्यक्रमों के लिए।

उच्च शिक्षा सचिव को उच्च न्यायालय का निर्देश नौ जून के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली छात्रों की कुछ याचिकाओं पर आया है, जिसमें मुक्त विश्वविद्यालय को छोड़कर राज्य के अन्य सभी विश्वविद्यालयों को डिजिटल माध्यम से दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम संचालित करने से रोका गया था।

छात्र केरल के अन्य विश्वविद्यालयों में संचालित दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में दाखिला लेने की अनुमति चाहते थे। उन्होंने दलील दी थी कि मुक्त विश्वविद्यालय के पास यूजीसी से अपेक्षित मंजूरी नहीं है और सरकार के नौ जून के आदेश के कारण अन्य विश्वविद्यालयों पर इस तरह के पाठ्यक्रम चलाने पर रोक है।

यूजीसी ने अदालत को बताया था कि इस साल भी उसने मुक्त विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी है और अन्य अनुमोदित विश्वविद्यालय इसे जारी रख सकते हैं यदि उन्हें ऐसा करने की मंजूरी दी गई हो तो।

दूसरी ओर, मुक्त विश्वविद्यालय ने यूजीसी की दलील का विरोध किया था और दावा किया था कि उसने दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत कुछ पाठ्यक्रमों के संबंध में आयोग से पहले ही अनुमोदन प्राप्त कर लिया था। सभी पक्षों को सुनने के बाद, न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘‘इसलिए, मेरा दृढ़ मत है कि इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को याचिकाकर्ताओं और मुक्त विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद निर्णय लेना होगा।’’ 

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