पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व वाला आयोग पेगासस जासूसी मामले की जांच में अभी आगे नहीं बढ़ेगा: प. बंगाल

By भाषा | Updated: August 25, 2021 20:12 IST2021-08-25T20:12:42+5:302021-08-25T20:12:42+5:30

Ex-judge-led commission will not proceed with Pegasus espionage case: P. Bengal | पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व वाला आयोग पेगासस जासूसी मामले की जांच में अभी आगे नहीं बढ़ेगा: प. बंगाल

पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व वाला आयोग पेगासस जासूसी मामले की जांच में अभी आगे नहीं बढ़ेगा: प. बंगाल

पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एम बी लोकुर की अध्यक्षता वाला उसका दो सदस्यीय आयोग कथित पेगासस जासूसी मामले की जांच तब तक आगे नहीं बढ़ाएगा जब तक यहां लंबित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो जाती।प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कथित जासूसी की स्वतंत्र जांच के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित कई याचिकाओं पर 17 अगस्त को केंद्र को नोटिस जारी किया था और कहा था कि वह इस मामले को 10 दिनों बाद सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा था कि तभी इस पर किया जायेगा कि इसमें क्या रास्ता अपनाया जाना चाहिये।पहले सुनवाई के लिए ली गई याचिकायें सरकारी एजेंसियों द्वारा इजरायली कंपनी एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ कथित जासूसी की खबरों से संबंधित थीं।पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन के खिलाफ एनजीओ ‘ग्लोबल विलेज फाउंडेशन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट’ की एक अलग याचिका बुधवार को जैसे ही सुनवाई के लिए आयी, पीठ ने यह कहते हुए राज्य को अपनी जांच पर आगे नहीं बढने का सुझाव दिया कि ‘‘यदि हम अन्य मामलों की सुनवाई कर रहे हैं, तो हम कुछ संयम की अपेक्षा करते हैं।’’एनजीओ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि दो समानांतर जांच नहीं हो सकती।उन्होंने कहा, ‘‘कृपया देखें कि जब यह अदालत मामले की सुनवाई कर रही है तो वहां कार्यवाही में कुछ नहीं किया जाए।’’राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने साल्वे के कथन का विरोध किया।पीठ ने कहा कि वर्तमान मामला अन्य मामलों से जुड़ा है और ‘‘हम आपसे प्रतीक्षा करने की उम्मीद करते हैं ... हम इसे अगले सप्ताह किसी समय अन्य मामलों के साथ सुनेंगे।’’ पीठ ने कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों के खिलाफ याचिकाओं का ‘‘अखिल भारतीय प्रभाव’’ होने की संभावना है।सिंघवी ने जब कहा कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ भी बड़ा नहीं होने वाला है। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आप हमें आदेश पारित करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।’’ सिंघवी ने कहा, ‘‘कृपया कुछ न कहें, मैं आगे अवगत करा दूंगा।’’शीर्ष अदालत ने एनजीओ की याचिका को इस मुद्दे पर पहले से ही लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया। शीर्ष अदालत ने गत 18 अगस्त को केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार से उस याचिका पर जवाब देने को कहा था जिसमें राज्य द्वारा आयोग के गठन को चुनौती दी गई थी। एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा था कि आयोग को आगे की कार्यवाही नहीं करनी चाहिए और इसके द्वारा एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है और कार्यवाही दिन-प्रतिदिन हो रही है।वकील ने दलील दी कि याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पिछले महीने जांच आयोग गठित करने संबंधी अधिसूचना को चुनौती दी गयी है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मामले में शामिल संवैधानिक सवालों पर अदालत की सहायता करेंगे। मेहता ने कहा था, ‘‘मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि यह असंवैधानिक है।’’ उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा घोषित जांच आयोग के सदस्य हैं।जांच आयोग तब अस्तित्व में आया था जब यह पता चला कि मुख्यमंत्री के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की कथित तौर पर पेगासस स्पाइवेयर द्वारा जासूसी की गई थी।एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे।

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Web Title: Ex-judge-led commission will not proceed with Pegasus espionage case: P. Bengal

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